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Up Kiran, Digital Desk: दिवाली का त्योहार धनतेरस के पावन दिन से शुरू होता है। यह दिन कुछ भी नया खरीदने के लिए साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग अपनी क्षमता के अनुसार सोना, चांदी, बर्तन, गाड़ी और प्रॉपर्टी जैसी चीजें खरीदते हैं ताकि उनके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन कीमती चीजों के अलावा दो बहुत ही साधारण सी चीजें हैं, जिन्हें इस दिन खरीदना सोने-चांदी से भी ज्यादा शुभ माना जाता है?

ये दो चीजें हैं - झाड़ू और साबुत धनिया।

आइए जानते हैं कि धनतेरस के दिन इन दोनों को खरीदने के पीछे का महत्व और मान्यता क्या है।

क्यों खरीदें झाड़ू? (Significance of Broom)

झाड़ू का काम घर की गंदगी और कचरे को साफ करना होता है। लेकिन ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में इसे सिर्फ एक सफाई करने वाली वस्तु नहीं माना जाता।

मां लक्ष्मी का प्रतीक: झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन नई झाड़ू घर लाने से आप मां लक्ष्मी को अपने घर आने का निमंत्रण देते हैं।

नकारात्मकता को करती है दूर: नई झाड़ू घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को बाहर निकालकर सकारात्मकता का संचार करती है। इससे घर में सुख-शांति आती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।

कैसे खरीदें झाड़ू: धनतेरस पर झाड़ू खरीदते समय ध्यान रखें कि हमेशा विषम संख्या (जैसे 1, 3 या 5) में ही झाड़ू खरीदें। हो सके तो सींक वाली झाड़ू खरीदना ज्यादा शुभ माना जाता है।

क्यों खरीदें साबुत धनिया? (Significance of Coriander)

धनतेरस पर धनिया खरीदना बेहद शुभ माना गया है। इसे समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

समृद्धि का बीज: साबुत धनिया धन और वैभव का प्रतीक है। धनतेरस के दिन धनिया खरीदकर घर लाने से साल भर घर में बरकत बनी रहती है और कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती।

कैसे करें इसका प्रयोग: धनतेरस के दिन खरीदे हुए धनिये में से थोड़े से दाने दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा में मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। पूजा के बाद इन दानों को अपने घर के बगीचे, गमले या खेत में बो दें।

आर्थिक स्थिति का संकेत: ऐसी मान्यता है कि अगर इन बोए हुए दानों से हरा-भरा पौधा निकलता है, तो यह संकेत है कि आपके परिवार की आर्थिक स्थिति साल भर बहुत मजबूत रहने वाली है।

तो इस धनतेरस पर चाहे आप कितनी भी महंगी चीज खरीदें, लेकिन झाड़ू और धनिया खरीदना बिल्कुल न भूलें। ये छोटी-छोटी परंपराएं ही हमारे त्योहारों को खास बनाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं।