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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में मंगलवार का दिन रोजमर्रा के यात्रियों के लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य के सरकारी परिवहन विभाग के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच लंबी बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया, जिससे लोगों को अब निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

बेंगलुरु समेत राज्य के कई हिस्सों में लाखों यात्री हर दिन KSRTC और BMTC की बसों पर निर्भर करते हैं, लेकिन अब ये सेवाएं ठप हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी की यूनियन नेताओं से बातचीत आखिरी मौका था, लेकिन बातचीत में सहमति नहीं बन सकी।

यात्रियों को करनी पड़ रही है जुगाड़ की सवारी

सरकारी बसें बंद होने के कारण यात्रियों को अब ओला, उबर, रैपिडो जैसी सेवाओं या प्राइवेट बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार ने अस्थायी राहत के तौर पर निजी बस ऑपरेटरों की मदद से आवागमन बनाए रखने की कोशिश की है। बेंगलुरु में ऐप-बेस्ड कैब और ऑटो रिक्शा की मांग अचानक बढ़ गई है। लेकिन सरकार की तरफ से लगाए गए पुराने प्रतिबंधों के चलते बाइक टैक्सी सेवाएं फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं, जिससे कई लोग परेशान हैं।

क्या है हड़ताल की असली वजह?

कर्मचारी संघों की मांगें मुख्य रूप से 38 महीने के बकाया वेतन और 1 जनवरी 2024 से प्रस्तावित वेतन वृद्धि को लेकर हैं। सरकार ने केवल दो साल का बकाया चुकाने का प्रस्ताव दिया और बाकी को छोड़ने की बात कही, जिसे यूनियनों ने सिरे से नकार दिया।

केएसआरटीसी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एचवी अनंत सुब्बाराव ने साफ कहा कि जब तक पूरी बकाया राशि और वेतन वृद्धि की स्पष्ट गारंटी नहीं दी जाती, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने वेतन वृद्धि पर कोई ठोस वादा नहीं किया, जिससे कर्मचारियों में असंतोष और भी बढ़ गया है।

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