
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक से पहले, आर्थिक विशेषज्ञ इस बात की संभावना जता रहे हैं कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में एक और कटौती कर सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह लगातार तीसरी बार होगा जब आरबीआई ब्याज दरों में कमी करेगा।
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है, और यह दर सीधे तौर पर होम लोन, कार लोन और अन्य कर्जों की ब्याज दरों को प्रभावित करती है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंकों के लिए फंड सस्ता हो जाएगा, जिसका लाभ वे ग्राहकों को कम ब्याज दरों के रूप तौर पर दे सकते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ता है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति (महंगाई) के मोर्चे पर स्थिति में कुछ सुधार आया है और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भी कुछ बदलाव दिख रहे हैं। ऐसे में, आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए और उद्योगों व उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में कटौती का कदम उठा सकता है।
अंतिम फैसला आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा लिया जाएगा, जो विभिन्न आर्थिक संकेतकों और भविष्य के अनुमानों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करेगी। लेकिन फिलहाल, बाजार और विशेषज्ञ इस बात की प्रबल संभावना देख रहे हैं कि आरबीआई लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी कर सकता है।
--Advertisement--