Up Kiran, Digital Desk: जब किसी महिला को यह पता चलता है कि उसे ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) है, तो उसके सामने ज़िंदगी और मौत की लड़ाई के साथ-साथ एक और बड़ा और भावुक सवाल खड़ा हो जाता है क्या मैं कभी माँ बन पाऊँगी? यह एक ऐसा डर है जो इलाज के दर्द से भी ज़्यादा गहरा होता है। कैंसर का नाम सुनते ही कई महिलाओं को लगता है कि उनका माँ बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया है।
लेकिन क्या यह सच है? क्या ब्रेस्ट कैंसर का मतलब मातृत्व का अंत है?
आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक़्क़ी कर ली कि इसका जवाब है नहीं, बिलकुल नहीं! ब्रेस्ट कैंसर के बाद भी माँ बनना पूरी तरह से संभव है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी, सही प्लानिंग और सही समय का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में बहुत कम बात होती ਹੈ, और जानकारी के अभाव में कई महिलाएँ ग़लत फ़ैसले ले लेती तो चलिए आज, हम इस विषय से जुड़े हर डर, हर सवाल और हर उम्मीद के बारे में खुलकर बात करते
कैंसर का इलाज और 'माँ' बनने की क्षमता (Fertility): क्या है कनेक्शन?
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। ये तरीक़े कैंसर सेल्स को तो मारते हैं, लेकिन इनका असर शरीर के स्वस्थ सेल्स पर भी पड़ता है, ख़ासकर महिलाओं के अंडाशय (Ovaries) पर, जहाँ अंडे बनते हैं।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy): यह दवाएँ कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ अंडाशय में मौजूद स्वस्थ अंडों को भी नुकसान पहुँचा सकती कई बार इससे अंडे पूरी तरह से ख़त्म हो जाते हैं, जिससे महिलाएँ स्थायी रूप से माँ बनने की क्षमता खो सकती हैं।
हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy): यह थेरेपी शरीर में एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन्स को ब्लॉक करती है, जो कैंसर को बढ़ने से रोकते हैं। लेकिन यही हॉर्मोन्स प्रेगनेंसी के लिए भी ज़रूरी यह थेरेपी 5 से 10 साल तक चल सकती है, और इस दौरान प्रेगनेंसी की सलाह नहीं दी जाती।
तो फिर उम्मीद कहाँ है? 'फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन' है जवाब!
यह मेडिकल साइंस का वह जादू है जो कैंसर मरीज़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन (Fertility Preservation) का मतलब है, कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले ही, माँ बनने की क्षमता को भविष्य के लिए सुरक्षित कर लेना।
यह कैसे होता है? इसके कुछ मुख्य तरीक़े हैं:
एग फ्रीजिंग (Egg Freezing): यह सबसे आम और सफल तरीक़ा है। इसमें कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले ही, इंजेक्शन के ज़रिए महिला के अंडाशय से स्वस्थ अंडों को निकालकर उन्हें लैब में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज़ कर दिया जाता है। महिला जब कैंसर से पूरी तरह ठीक हो जाती है, तो इन्हीं अंडों को पिघलाकर, पति के स्पर्म के साथ मिलाकर भ्रूण (Embryo) बनाया जाता है और महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता ਹੈ।
एम्ब्र्यो फ्रीजिंग (Embryo Freezing): अगर महिला शादीशुदा है, तो उसके अंडों और पति के स्पर्म को मिलाकर पहले ही भ्रूण (Embryo) बना लिया जाता है और फिर उसे फ्रीज़ किया जाता है। इसे एग फ्रीजिंग से थोड़ा ज़्यादा सफल माना जाता है।
यह क़दम उठाना सबसे ज़रूरी है, क्योंकि एक बार इलाज शुरू हो गया तो यह मौका हाथ से निकल जाता है।
डॉक्टर कब देते हैं 'गुड न्यूज़' की इजाज़त?
एक बार जब ब्रेस्ट कैंसर का इलाज पूरा हो जाता है, तो डॉक्टर तुरंत प्रेगनेंसी की सलाह नहीं देते। ऐसा इसलिए क्योंकि इलाज के बाद पहले 2 से 5 साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस दौरान कैंसर के वापस आने (recurrence) का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है
इसलिए, डॉक्टर आमतौर पर इलाज ख़त्म होने के बाद कम से कम 2 साल तक इंतज़ार करने की सलाह देते हैं। अगर कैंसर ज़्यादा आक्रामक (aggressive) था, तो यह इंतज़ार 5 साल तक का भी हो सकता है। यह इंतज़ार माँ और होने वाले बच्चे, दोनों की सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है
क्या प्रेगनेंसी से कैंसर वापस आ सकता है?
यह एक बहुत बड़ा डर है। कई लोगों को लगता है कि प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ने वाले हॉर्मोन्स ब्रेस्ट कैंसर को वापस ला सकते लेकिन अब तक की रिसर्च और स्टडीज़ ने इस डर को काफ़ी हद तक ग़लत साबित किया है। स्टडीज़ में ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है कि प्रेगनेंसी से कैंसर के वापस आने का ख़तरा बढ़ता है।
आख़िरी शब्द: उम्मीद मत छोड़िए
अगर आप या आपका कोई अपना ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहा है, तो उन्हें बताइए कि यह उनकी ज़िंदगी का अंत नहीं, बल्कि एक मुश्किल लड़ाई जिसे जीता जा सकता ਹੈ। और इस जीत के बाद माँ बनने का ख़ूबसूरत सपना भी पूरा हो सकता है। बस ज़रूरत सही डॉक्टर से सलाह लेने की, अपनी फर्टिलिटी के विकल्पों के बारे में खुलकर बात करने की, और हिम्मत बनाए रखने की।
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