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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है, और इस बार केंद्र में हैं राजद के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव। पार्टी और परिवार से छह साल के लिए निलंबित किए जाने के बाद तेजप्रताप की हालिया सोशल मीडिया पोस्टों ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। उन्होंने पार्टी के भीतर चल रही अंतर्कलह को उजागर करते हुए तीखे शब्दों में अपनी बात रखी है जिनमें जयचंद, कृष्ण और अर्जुन जैसे प्रतीकों के माध्यम से गहरे राजनीतिक संकेत छिपे हैं।
'जयचंद' कौन है? सवालों के घेरे में राजद
तेजप्रताप यादव ने रविवार सुबह एक पोस्ट कर 'कुछ जयचंदों' की चर्चा की, जिनकी पहचान को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। उन्होंने लिखा, "कुछ जयचंद जैसे लालची लोग मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं।" यह टिप्पणी सीधे-सीधे राजद के भीतर उन चेहरों की ओर इशारा करती है, जिन्हें तेजप्रताप अपने और परिवार के बीच फूट डालने के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि 'जयचंद' शब्द का इस्तेमाल करके तेजप्रताप ने न केवल खुद के प्रति हो रही अंदरूनी साजिशों को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि पार्टी नेतृत्व से उनका मोहभंग कितना गहरा हो चुका है।
'कृष्ण और अर्जुन' की राजनीति: तेजस्वी के लिए भावुक समर्थन
बवाल के बीच तेजप्रताप यादव की दूसरी पोस्ट ने और भी ज्यादा ध्यान खींचा। उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को 'अर्जुन' और खुद को 'कृष्ण' बताते हुए लिखा कि मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम अपनी साजिशों में कभी सफल नहीं हो सकोगे। कृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो, मगर खुद कृष्ण को नहीं।
पारिवारिक पीड़ा भी आई सामने
तेजप्रताप ने एक भावनात्मक पोस्ट में अपने माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को 'भगवान से बढ़कर' बताते हुए लिखा कि मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए, ना कि कुछ और। पापा आप नहीं होते तो ना ये पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग।
ये बयान सीधे-सीधे राजद की जड़ों पर सवाल खड़ा करता है जिसे खुद लालू यादव ने सींचा, मगर अब उसी के भीतर दरारें दिख रही हैं।
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