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Up Kiran, Digital Desk:  भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास की रफ्तार को और तेज करने के लिए देश का सीमेंट उद्योग एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अगले तीन वित्तीय वर्षों (यानी मार्च 2028 तक) में भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता में 150 से 170 मिलियन टन का भारी इजाफा होने वाला है. यह अब तक का सबसे बड़ा क्षमता विस्तार होगा, जो देश में बन रहे नए-नए हाईवे, घर और पुलों की बढ़ती मांग को पूरा करेगा.

क्यों हो रहा है इतना बड़ा विस्तार?

इस जबरदस्त विस्तार के पीछे दो मुख्य कारण हैं:

बढ़ती डिमांड: सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे कि सड़कें, रेलवे और सस्ते घरों पर भारी फोकस है. इसके चलते देश में सीमेंट की मांग आसमान छू रही है.

कंपनियों की मजबूत हालत: सीमेंट बनाने वाली बड़ी कंपनियों की आर्थिक सेहत काफी अच्छी है, जिससे वे नए प्लांट लगाने और अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए आसानी से पैसा लगा पा रही हैं.

फिलहाल भारत की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता लगभग 605 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) है, जो अगले तीन सालों में बढ़कर करीब 775 MTPA हो जाएगी.

कौन कर रहा है सबसे ज्यादा निवेश?

इस विस्तार की अगुवाई देश की टॉप 5 सीमेंट कंपनियां कर रही हैं, जिनमें अल्ट्राटेक और अदाणी सीमेंट जैसे बड़े नाम शामिल हैं. अनुमान है कि इस पूरी क्षमता वृद्धि में से लगभग आधी हिस्सेदारी इन्हीं बड़ी कंपनियों की होगी. इस पूरे विस्तार में करीब 90,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश होने का अनुमान है.

दिलचस्प बात यह है कि कंपनियां इस बड़े निवेश का ज्यादातर हिस्सा अपनी कमाई (आंतरिक स्रोतों) और कुछ कर्ज लेकर पूरा कर रही हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इतना बड़ा निवेश करने के बावजूद कंपनियों पर कर्ज का बोझ काबू में रहने की उम्मीद है.

पहले ज्यादातर नए प्लांट पूर्वी और दक्षिणी भारत में लग रहे थे, लेकिन अब मांग को देखते हुए मध्य, उत्तरी और पश्चिमी भारत में भी नए प्लांट लगाने पर जोर दिया जा रहा है. यह दिखाता है कि पूरे देश में विकास की लहर एक समान फैल रही है. यह विस्तार न केवल देश के विकास में मदद करेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा.