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आज बात करेंगे एक ऐसे कानून की जिसे केंद्र की मोदी सरकार से लेकर सभी भाजपा शासित सरकारें लाने की तैयारी में जुटी हुई हैं। ‌‌वहीं उत्तराखंड की धामी सरकार तो एक कदम आगे निकल गई है। उत्तराखंड सरकार इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने के लिए तैयार भी है। हम बात कर रहे हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड यूसीसी की। जुलाई महीने से शुरू होने वाले संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पारित कराने के लिए तैयारी शुरू कर दी है।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा दांव खेलने जा रही है। केंद्र सरकार आगामी मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता का बिल संसद में पेश कर सकती है। केंद्र सरकार के अलावा उत्तराखंड की धामी सरकार भी विधानसभा के मानसून सत्र में इस विधेयक को पारित करा सकती है।

भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि, 5 अगस्त को हुआ राम मंदिर का निर्णय हुआ था। 5 अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी। अब 5 अगस्त को ही यूनिफार्म सिविल कोड भी आने वाला है। जय श्री राम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल में दिए गए बयान के बाद सियासी माहौल गरमा गया है।  3 दिनों से समान नागरिक संहिता को लेकर पूरे देश भर में बहस छिड़ी हुई है।  

बता दें कि मंगलवार, 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 5 नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन करने गए थे। वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर एक जनसभा को भी संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा था भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ लेकिन ये वोटबैंक के भूखे लोग, वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमंदों मुसलमानों का शोषण किया है लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई। उन्हें आज भी बराबरी का हक नहीं मिलता।

प्रधानमंत्री ने कहा भारत के मुसलमान भाई बहनों को ये समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं। हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा।

पीएम मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों के बयान आना शुरू हो गए। यूनिफॉर्म सिविल कोड को मुद्दे को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। विपक्ष के तमाम नेता केंद्र की मोदी सरकार को इस मुद्दे पर घेरे हुए हैं। कांग्रेस ने यूसीसी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो ऐसा अपनी असफलता छुपाने के लिए कर रही है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी पीएम मोदी के यूसीसी वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पीएम को पहले देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के बारे में जवाब देना चाहिए। वह कभी मणिपुर मुद्दे पर नहीं बोलते, पूरा राज्य जल रहा है। वह सिर्फ इन सभी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पीएम मोदी नौकरी देने का वादा नहीं कर पा रहे तो ऐसा कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू भी कह रही है कि यूसीसी पर सभी लोगों को विश्वास में लेने की जरूरत है।ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा प्रधानमंत्री भारत की विविधता और इसके बहुलवाद को एक समस्या मानते हैं। इसलिए, वह ऐसी बातें कहते हैं। शायद भारत के प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 29 समझ नहीं आता।

क्या आप यूसीसी के नाम पर देश से उसकी बहुलता और विविधता को छीन लेंगे। दरअसल, लॉ कमीशन की तरफ से सुझाव मांगे जाने के बाद से यूसीसी का विषय एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। कमीशन ने आम लोगों और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों से इस विषय पर अपनी राय देने को कहा है।
 

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