धर्म डेस्क। घर-परिवार और स्वयं का स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा आवश्यक है। इसके बिना मनुष्य आगे नहीं बढ़ सकता है। कहावत भी है, सबसे बड़ा धन निरोगी काया। धर्मशास्त्रों के अनुसार दुर्भाग्य, बीमारी, कष्ट, संकट एवं ग्रह पीड़ा बाधा से मुक्ति के साथ ही बुद्धि की अस्थिरता व मानसिक एकाग्रता के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। जीवन में आने वाली तमाम वाधाओं से मुक्ति का एक उपय है भगवान भोलेनाथ शिव का ‘रोग नाशक एवं दुर्भाग्य नाशक महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र के जाप से मनुष्य समस्याओं से मुक्त होकर स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन का आनंद भोगता है।
शास्त्रों के अनुसार जो मृत्यु को जीत ले उसे मृत्युंजय कहा जाता है। मृत्यु पर विजय भगवान शिव के आशीर्वाद महामृत्युंजय मंत्र, से ही प्राप्त होती है। पुराणों के अनुसार मां भगवती की अनुनय पर उन्हें भगवान शिव ने अकाल मृत्यु की रक्षा करने वाला तथा समस्त अशुभों का नाश करने वाला मंत्र 'महामृत्युंजय' मंत्र बताया था।
शिव पुराण के अनुसार महामृत्युंजय के प्रभाव से अशुभ ग्रहदशा की तीव्रता कम हो जाती है। यह महामंत्र समस्त रोगों की दिव्यौषधि है। भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र से एवं चैतन्य महामृत्युंजय यंत्र धारण करने से सावन में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। व्यापार फलता फूलता है। मानसिक एकाग्रता आती है। अकाल मृत्यु से रक्षा और कालसर्प योग का निवारण होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से राजदंड और कलह क्लेश से घर-परिवार मुक्त रहता है। इस महामंत्र के जाप से दुर्भाग्य, मृत्युतुल्य कष्ट से, घोर संकट, राहु, शनि ग्रह के अनिष्ट प्रभावों से और झूठे आरोपों के कारण चरित्र कलंकित हो जाने और शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव आदि से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति असीमित आनंद को प्राप्त करता है।
--Advertisement--