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Up Kiran, Digital Desk: चार साल पहले, एक अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंसी फर्म की रिपोर्ट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर एक हैरान कर देने वाला दावा किया था — चीन अब दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र बन चुका है। पिछले दो दशकों में उसकी संपत्ति में जो उछाल देखा गया, वह न केवल अभूतपूर्व था, बल्कि कई देशों के लिए एक चेतावनी भी थी।
लेकिन एक समय ऐसा भी था जब चीन आर्थिक रूप से भारत से भी नीचे खड़ा था। आखिर ऐसा क्या बदला, जिससे एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था ग्लोबल पॉवरहाउस बन गई?
दो दशकों में 17 गुना बढ़ी चीन की दौलत
साल 2000 के आसपास चीन की कुल संपत्ति लगभग 7 ट्रिलियन डॉलर के करीब थी। पर आज वही आंकड़ा 120 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है। यह बढ़त केवल एक आर्थिक छलांग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक परिवर्तन का परिणाम है। अमेरिका जो कभी इस सूची में सबसे ऊपर था, अब पीछे छूट चुका है। वहीं भारत 2.26 ट्रिलियन डॉलर के साथ सातवें पायदान पर था, हालांकि अनुमान है कि उसी समय भारत की वास्तविक GDP लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर के पास थी।
कभी भारत से पीछे था चीन
यह तथ्य कम ही लोगों को पता है कि करीब पांच दशक पहले चीन की स्थिति भारत से भी ज्यादा खराब थी। 1978 से पहले, वहां की अर्थव्यवस्था बिखरी हुई थी और गरीबी चरम पर थी। विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि उस दौर में चीन में भारत की तुलना में 26 प्रतिशत ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे थे। प्रति व्यक्ति आय भी बेहद कम थी — चीन में 155 डॉलर और भारत में 210 डॉलर प्रति व्यक्ति।
1978: जब चीन ने बदला अपना रास्ता
साल 1978 को चीन के आर्थिक इतिहास में टर्निंग पॉइंट माना जाता है। माओ त्से तुंग के निधन और सांस्कृतिक क्रांति के बाद, देश एक नई दिशा की तलाश में था। उस वक्त देंग शियाओपिंग ने सत्ता संभाली और आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उन्होंने खुले बाजार की अवधारणा को अपनाया, कृषि और उद्योग में बदलाव किए, शिक्षा पर निवेश बढ़ाया और जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता दी। इन सब प्रयासों ने चीन को आर्थिक मोर्चे पर मजबूती दी।
भारत और चीन के बीच बढ़ता फासला
जहां भारत ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू किया, वहीं चीन ने यह यात्रा 13 साल पहले ही शुरू कर दी थी। नतीजा यह हुआ कि पिछले 40 सालों में भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल पांच गुना बढ़ी, जबकि चीन की आय 24 गुना तक पहुंच गई। इस असमान विकास के चलते आज चीन का आम नागरिक भारतीय नागरिक की तुलना में करीब पांच गुना अधिक समृद्ध है।
सबक क्या है भारत के लिए?
चीन की कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि दूरदृष्टि, नीति और नेतृत्व की भी है। भारत के लिए यह एक सीख हो सकती है कि कैसे सही समय पर लिए गए फैसले दशकों तक असर डाल सकते हैं। आर्थिक सुधार, शिक्षा पर निवेश और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे किसी भी राष्ट्र के भविष्य को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।