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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले तीन से चार महीनों में पार्टी ने गहन सर्वे कर अपनी स्थिति का आकलन किया। मजबूत सीटों की पहचान की गई और जिलाध्यक्षों से फीडबैक लिया गया। पार्टी का 'वार रूम' भी तीन महीने पहले ही सक्रिय हो गया था, जो आम तौर पर चुनावी रणनीतियों का केंद्र बनता है। हालांकि, इन तमाम तैयारियों के बावजूद कांग्रेस अपने सहयोगियों से एक भी सीट मजबूत नहीं ले पाई, और तो और, उसने अपनी दो मजबूत सीटें भी गंवा दीं।

राहुल गांधी की यात्रा और पार्टी कार्यकर्ताओं की जागरूकता

राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को एक नई ऊर्जा दी और उन्हें सक्रिय किया। परंतु, सीट बंटवारे से पहले तक कांग्रेस की तैयारियों में किसी खास बदलाव की झलक नहीं मिली। प्रदेश नेतृत्व ने जोर-शोर से यह ऐलान किया कि पार्टी इस बार स्ट्राइक रेट में सुधार लाएगी और मजबूत सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बावजूद इसके, कांग्रेस ज्यादातर उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जहां वह 2020 में पहले भी मैदान में थी।

कांग्रेस की सीटों पर फेरबदल

इस बार कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि 2020 में उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिन सीटों को पार्टी ने छोड़ा है, उसमें दो सीटें ऐसी हैं, जहां पहले कांग्रेस का विधायक था। उदाहरण के तौर पर, महाराजगंज और जमालपुर में कांग्रेस ने अपने विधायकों को टिकट नहीं दिया और इन सीटों को सहयोगी दलों को सौंप दिया। इसके अलावा, बिहारशरीफ, बनमनखी और कुम्हरार सीटों पर कांग्रेस ने नई दावेदारी पेश की है।

महागठबंधन में कांग्रेस का समर

महागठबंधन में कांग्रेस का मुकाबला अब केवल भाजपा से नहीं, बल्कि उसके ही सहयोगियों से भी है। महागठबंधन के घटक दलों के बीच कुल 11 सीटों पर सीधा मुकाबला होगा। इनमें से 10 सीटों पर कांग्रेस को महागठबंधन के अन्य दलों से चुनौती मिल रही है। खासकर, राजद और कांग्रेस के बीच पांच सीटों पर और भाकपा और कांग्रेस के बीच चार सीटों पर मुकाबला देखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त, एक सीट पर आईआईपी से भी मुकाबला होगा।