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Up Kiran, Digital Desk: वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में तीसरे अंपायर द्वारा दिए गए कई विवादास्पद फैसलों ने खिलाड़ियों, कमेंटेटर और प्रशंसकों के बीच कड़ी आलोचना को जन्म दिया है। निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS) के उपयोग पर गहन जांच पड़ताल की जा रही है, जिसमें कई महत्वपूर्ण कॉल ऑन-फील्ड फैसलों के खिलाफ गए हैं, जिससे तकनीक की सटीकता और निरंतरता तथा उसकी व्याख्या को लेकर व्यापक बहस छिड़ गई है।

मैच के दौरान, विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षणों में, तीसरे अंपायर के हस्तक्षेप ने भौंहें चढ़ा दी हैं। करीबी एलबीडब्ल्यू (लेग बिफोर विकेट) कॉल, विवादास्पद कैच-बिहाइंड निर्णय और करीबी रन-आउट जैसी घटनाओं ने नाराजगी को जन्म दिया है, जिसमें कई लोग कोणों, बॉल-ट्रैकिंग भविष्यवाणियों और समीक्षा प्रोटोकॉल के समग्र अनुप्रयोग पर सवाल उठा रहे हैं।

क्रिकेट विश्लेषकों और पूर्व खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट में सटीक अंपायरिंग के महत्व पर जोर दिया है, जहां हर निर्णय खेल के प्रवाह और अंतिम परिणाम पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कथित विसंगतियों ने दोनों खेमों में निराशा पैदा की है, जिससे दो क्रिकेटिंग राष्ट्रों के बीच एक प्रतिस्पर्धी मुकाबले पर पर्दा पड़ गया है।

डीआरएस को स्पष्ट त्रुटियों को खत्म करने के लिए पेश किया गया था, लेकिन यह टेस्ट मैच एक नई याद दिलाता है कि तकनीकी सहायता के बावजूद भी मानवीय व्याख्या एक महत्वपूर्ण और कभी-कभी त्रुटिपूर्ण घटक बनी हुई है। क्रिकेट जगत यह देखने के लिए उत्सुकता से इंतजार करेगा कि इन विवादास्पद फैसलों को कैसे संबोधित किया जाता है और क्या वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा डीआरएस प्रोटोकॉल के किसी भी पुनर्मूल्यांकन का कारण बनते हैं।

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