Up Kiran, Digital Desk: तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई की है। जांच में यह सामने आया कि जिस कंपनी ने छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में मौत का कारण बना कोल्ड्रिफ कफ सिरप तैयार किया था, उसमें 350 से ज्यादा नियम उल्लंघन पाए गए हैं।
गंदगी में बना दवा का कारखाना!
जांच अधिकारियों ने जब सिरप बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण किया, तो वहां गंदगी, अस्वच्छ माहौल और खराब मशीनें मिलीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फैक्ट्री में प्रशिक्षित कर्मचारी, सही उपकरण और पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं। यानी ये दवा एक ऐसे माहौल में बनी, जो खुद बीमारी फैला सकता है।
सिरप में ज़हर! डायथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी
इस सिरप में प्रोपलीन ग्लाइकोल और डायथिलीन ग्लाइकोल जैसे जहरीले केमिकल्स की मौजूदगी पाई गई। प्रोपलीन ग्लाइकोल आमतौर पर दवाओं में उपयोग होता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में यह भी नुकसानदायक है। डायथिलीन ग्लाइकोल, जो केवल इंडस्ट्रियल उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है, इसे भोजन या दवा में कभी नहीं मिलाना चाहिए।
यही केमिकल बच्चों की जान का दुश्मन बना।
बिना चालान खरीदा गया केमिकल
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने 50 किलो प्रोपलीन ग्लाइकोल बिना किसी वैध बिल या दस्तावेज के खरीदा था। यानी ये एक गैरकानूनी काम था, जो सीधे तौर पर मानव जीवन को खतरे में डालता है।
अब तक 15 मासूमों की गई जान
इस जहरीले सिरप के कारण अब तक कम से कम 15 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान में ये मामले सामने आए हैं। किडनी फेलियर सिरप के सेवन के बाद देखने को मिला, जो एक गंभीर संकेत है।
भारत के राज्यों ने उठाए सख्त कदम
घटना के बाद कई राज्यों ने तात्कालिक कार्रवाई शुरू कर दी है:
झारखंड में कोल्ड्रिफ, रेस्पिरेश और रिलिफ़ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केरल सरकार ने निर्देश जारी किया कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न दी जाए। कर्नाटक ने अस्पतालों को आगाह किया कि वे 2 साल से छोटे बच्चों को सिरप न दें।
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