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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के शैक्षणिक मानचित्र पर इस बार भी एक नायाब चमक देखने को मिली है। बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट के आंकड़ों में जहां लड़कों और लड़कियों के बीच कड़ी टक्कर होती है, वहीं इस बार भी सीकर के झालरा की तनिषा कुल्हरी ने अपने दमदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया है। 95.17 प्रतिशत अंकों के साथ तनिषा ने न केवल अपने स्कूल बल्कि पूरे जिले में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
तनिषा की काबिलियत: नंबरों से कहीं ज्यादा है उसकी कहानी
मावंडा खूर्द की न्यू सनराइज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की ये छात्रा अंग्रेजी में 98, गणित में 98, विज्ञान में 97, संस्कृत में 96, हिंदी में 94 और सामाजिक विज्ञान में 98 अंक हासिल कर खुद को साबित कर चुकी है। 600 में से कुल 571 अंक पाकर उसने पूरे स्कूल में टॉप करके यह साबित कर दिया कि सफलता की कोई सीमा नहीं होती।
तनिषा की मेहनत की कहानी सिर्फ अंकों तक सीमित नहीं है। हर दिन, स्कूल से लौटकर, शाम के सन्नाटे में उसकी मेज पर किताबों का पहाड़ खड़ा होता था। 5 से 6 घंटे की सेल्फ स्टडी की उसकी लगन और जज्बा इसे संभव बना पाया। उसकी पढ़ाई के प्रति अनुशासन और समर्पण ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है।
परिवार की ममता और संघर्ष की छाया
तनिषा के पिता, दशरथ सिंह, एक क्रेशर मशीन चलाने वाले मेहनती किसान हैं, जिनकी मेहनत और संघर्ष की कहानियाँ हर सुबह तनिषा को उठने और पढ़ाई में जुटने की प्रेरणा देती हैं। उसकी माता, निर्मला देवी, एक स्नेहिल गृहिणी, जो घर की हर छोटी-छोटी जरूरतों को बड़े प्यार से संभालती हैं, तनिषा के सपनों को हकीकत में बदलने में उसका सबसे बड़ा सहारा हैं।
निर्मला देवी बताती हैं, “तनिषा रोजाना एक ही रूटीन फॉलो करती है—स्कूल से लौटते ही पढ़ाई में जुट जाती है, अपने सवालों के जवाब पाने के लिए अपने शिक्षकों से फोन पर बात करती है।” यह समर्पण और निरंतरता ही है जो उसकी सफलता की असली वजह है।
शिक्षकों की मेहनत और प्रोत्साहन
स्कूल के निर्देशक दिनेश कुमार देशवाल ने भी तनिषा के सफर में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने तनिषा को न केवल पढ़ाई में बल्कि हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया, उसके अंदर छुपी प्रतिभा को पहचाना और उसे आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया। “तनिषा में मेहनत और लगन का ऐसा मेल है, जो उसे बाकी छात्रों से अलग बनाता है,” वे कहते हैं।
सपनों की उड़ान: डॉक्टर बनने का इरादा
जब हमने तनिषा से पूछा कि भविष्य में वह क्या बनना चाहती है, तो उसकी आँखों में चमक और आवाज़ में ठहराव के साथ उसने कहा, “मैं 11वीं में साइंस-बायोलॉजी ले रही हूँ, और NEET की तैयारी करके डॉक्टर बनना चाहती हूँ। मैं अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करना चाहती हूँ।” तनिषा की यह स्पष्ट योजना और आत्मविश्वास उसके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
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