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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण मामले में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह मामला मधुमेह (डायबिटीज) की उन दवाओं के उपयोग से संबंधित है, जिन्हें कथित तौर पर वजन प्रबंधन (वेट मैनेजमेंट) के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने यह निर्देश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में इस बात पर चिंता जताई गई है कि मधुमेह की कुछ दवाओं का उपयोग, जिनके मुख्य रूप से मधुमेह के इलाज के लिए लाइसेंस प्राप्त हैं, का गलत तरीके से या अनधिकृत रूप से वजन घटाने वाले एजेंट के रूप में प्रचार और उपयोग किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि बिना उचित नैदानिक परीक्षणों (clinical trials) और नियामक अनुमोदन (regulatory approval) के ऐसी दवाओं का ऑफ-लेबल (off-label) उपयोग मरीजों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। इन दवाओं के दुष्प्रभाव और सुरक्षा प्रोफाइल को मधुमेह के मरीजों के लिए विकसित किया गया है, न कि स्वस्थ व्यक्तियों या केवल वजन कम करने के इच्छुक लोगों के लिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने CDSCO से इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक व्यापक जांच करने और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर एक सुविचारित निर्णय लेने को कहा है। CDSCO भारत में दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के विनियमन के लिए सर्वोच्च निकाय है।

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