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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने शानदार जीत हासिल कर राज्य की राजनीति को बदल दिया है। 243 में से 200 से ज्यादा सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की। भाजपा और जेडीयू की संयुक्त ताकत ने महागठबंधन और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को पूरी तरह पीछे छोड़ दिया।

वीआईपी की हार और मुकेश साहनी का सपना
मुकेश साहनी, जिन्हें "सन ऑफ मल्लाह" कहा जाता है, उन्होंने उपमुख्यमंत्री बनने का वादा लेकर चुनाव में कदम रखा। हालांकि, वीआईपी को 12 सीटों पर लड़ने के बावजूद एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली। कई उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन यह चुनाव में कोई असर नहीं डाल पाया।

महिला मतदाताओं ने एनडीए को भारी समर्थन दिया
वीआईपी की हार का एक बड़ा कारण महिलाओं का एनडीए के पक्ष में वोट देना था। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना जैसी प्रत्यक्ष नकद सहायता ने महिलाओं के मन में एनडीए के लिए भरोसा बनाया। मुकेश साहनी ने माना कि उनकी पार्टी का संदेश इस जनादेश को प्रभावित नहीं कर पाया।

सीट बंटवारे और कमजोर जमीनी तैयारियों ने वीआईपी को कमजोर किया
उम्मीदवारों की देर से घोषणा और बूथ स्तर पर कमजोर नेटवर्क ने वीआईपी की जीत की उम्मीदों को खत्म कर दिया। प्रचार में उपमुख्यमंत्री बनने के दावे पर ज़्यादा जोर दिया गया, जबकि मतदाता स्थिरता, कल्याणकारी योजनाओं और महंगाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे।

एनडीए का दबदबा और राजनीतिक भविष्य
एनडीए की जीत ने दिखा दिया कि महिला मतदाता, गैर-यादव ओबीसी, ईबीसी और बड़े दलित वर्ग एकजुट होकर सत्ता बदल सकते हैं। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जेडीयू नीतीश कुमार के लिए मील का पत्थर साबित हुई। यह जनादेश भविष्य के चुनावों के लिए भी संकेत देता है।