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Up Kiran, Digital Desk: भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे ने न केवल दिल्ली की सियासी गलियों को चौंकाया है, बल्कि राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में भी एक भावनात्मक हलचल पैदा कर दी है। यह गांव, जो जगदीप धनखड़ की जड़ें हैं, उनके इस्तीफे की खबर से गमगीन नजर आया।

गांव की भावनात्मक प्रतिक्रिया; सम्मान से सदमे तक का सफर

किठाना गांव में जैसे ही धनखड़ के इस्तीफे की खबर सोमवार देर रात फैली, लोगों में हलचल मच गई। गांववाले, जिन्होंने कभी अपने खेत-खलिहानों में काम करने वाले एक युवा को देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचते देखा था, अब उसी चेहरे को स्वास्थ्य कारणों से पीछे हटते देख रहे हैं।

गांव के निवासी हरेंद्र धनखड़ ने बताया कि हाल के महीनों में उपराष्ट्रपति की तबीयत सही नहीं रही। मार्च में हुई एंजियोप्लास्टी और फिर उत्तराखंड यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने की खबरों ने पहले से ही चिंता बढ़ा दी थी। उन्होंने कहा, "हम तो उम्मीद कर रहे थे कि वह कार्यकाल पूरा करेंगे, लेकिन उनका स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया।"

गांव के मंदिरों में प्रार्थनाएं, उम्मीदें अब भी ज़िंदा

स्थानीय निवासी नरेश ने बताया कि जैसे ही उन्होंने व्हाट्सऐप पर इस्तीफे की जानकारी देखी, पूरा गांव स्तब्ध रह गया। "यह सिर्फ एक व्यक्ति का इस्तीफा नहीं था, यह गांव के गर्व और सपनों का झटका था।" गांव के बालाजी मंदिर में मंगलवार सुबह विशेष पूजा रखी गई और धनखड़ की सेहत के लिए दुआएं मांगी गईं।

सरपंच सुभिता धनखड़ ने भावुक होते हुए कहा, "उन्हें देखकर हमने सीखा था कि एक किसान का बेटा भी देश की सर्वोच्च व्यवस्थाओं तक पहुंच सकता है। हम अब भी आशा करते हैं कि वह और ऊंचे पदों पर देश की सेवा करें।"

स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए लिया गया निर्णय

धनखड़ ने सोमवार रात राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि चिकित्सकीय सलाह के चलते उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की बात कही।

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