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भारतीय क्रिकेट के सबसे शांत और रणनीतिक कप्तानों में गिने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने हाल ही में अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें साझा की हैं। राज शमानी के पॉडकास्ट में धोनी ने अपने बचपन, परिवार और खासकर अपने पिता पान सिंह के साथ रिश्तों पर खुलकर बात की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे अनुशासन ने उनके जीवन और करियर को दिशा दी।
धोनी का बचपन और रांची की यादें
एमएस धोनी ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि उनका बचपन रांची की एक कॉलोनी में बीता। वह एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से थे जहां अनुशासन और समय की पाबंदी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता था। उनका स्कूल भी उसी कॉलोनी में था, जिससे उनकी हर गतिविधि पर नज़र बनी रहती थी।
धोनी ने बताया कि उनके बड़े भाई और वह एक ही स्कूल में पढ़ते थे और उनके लगभग सभी टीचर उनके परिवार को जानते थे। ऐसे में मस्ती या बदमाशी की कोई गुंजाइश नहीं रहती थी।
पिता से डर और अनुशासन की सीख
पॉडकास्ट के दौरान धोनी ने बताया कि उन्हें अपने पिता से बहुत डर लगता था। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि पान सिंह कभी उन पर हाथ नहीं उठाते थे, लेकिन उनका सख्त स्वभाव और अनुशासनप्रियता ही डर की वजह बन जाती थी।
धोनी ने एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि जब उनके दोस्त कॉलोनी की दीवार पर चढ़ जाया करते थे, तो वह कभी ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। उन्हें हमेशा यह डर लगा रहता था कि अगर पापा ने देख लिया तो क्या होगा। यह डर उन्हें अनुशासित बनाए रखने का सबसे बड़ा कारण था।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिताजी हमेशा समय के पाबंद रहते थे और यही आदत आज भी धोनी की जिंदगी में गहराई से जुड़ी हुई है। क्रिकेट के मैदान पर भी उनका यही अनुशासन और शांत स्वभाव उन्हें सबसे अलग बनाता है।
धोनी का पारिवारिक माहौल और शिक्षा
धोनी ने बताया कि उनके परिवार में पढ़ाई और अनुशासन को लेकर हमेशा सख्ती रही है। उनके बड़े भाई और वह दोनों एक ही स्कूल में पढ़े और शिक्षकों के साथ उनके पारिवारिक संबंध भी मजबूत थे। इसका सीधा असर उनकी परवरिश पर पड़ा।
धोनी ने कहा कि उनका बचपन आज के बच्चों से काफी अलग था। तकनीक और आजादी जैसी चीजें उस वक्त सीमित थीं, लेकिन इससे उन्हें यह समझने का मौका मिला कि अनुशासन कैसे किसी इंसान को मजबूत बनाता है।
आज भी जीवन में कायम है अनुशासन
धोनी ने स्वीकार किया कि आज वे जिस मुकाम पर हैं, उसमें बचपन में मिले अनुशासन और पारिवारिक संस्कारों का बहुत बड़ा योगदान है। चाहे वह समय की पाबंदी हो या खेल के मैदान पर धैर्य, उन्होंने यह सब अपने घर से सीखा है।
इस बातचीत में धोनी ने यह भी संदेश दिया कि सफलता का रास्ता हमेशा कड़ी मेहनत, अनुशासन और मूल्यों से होकर गुजरता है। उनके इस सरल और सच्चे अंदाज़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह केवल एक महान खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक मजबूत व्यक्तित्व भी हैं।