img

धर्म डेस्क। सावन मास भगवान् शिव का प्रिय महींना है। इस मास में पूजापाठ के साथ ही खानपान के कुछ नियमों का पालन करना भी आवश्यक माना जाता है। सावन में सनातनी लोग रहन-सहन से लेकर खान-पान का भी पूरा ध्यान रखते हैं। सावन में खानपान से जुड़े कुछ नियम और मान्‍यताएं भी हैं। सावन के महीने में दही और साग खाना वर्जित है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए।

शास्त्रों के अनुसार सावन मास में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर शुद्धहोने के साथ ही हमारा मन आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए अच्छे होते हो, लेकिन इनकी गिनती सात्विक भोजन में नहीं होती है। मान्यता अनुसार सावन मास में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन के रूप में ग्रहण करने से परहेज करना चाहिए।

सावन मास वर्षा का समय होता है। ऐसे में पर्यावरण में तमाम जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्‍तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए। चूंकि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसीलिए  डॉक्‍टर भी इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करने की सलाह देते हैं।  

इसी तरह आयुर्वेद भी वर्ष ऋतू में तामसिक भोजन से बचने की सलाह देता है। साग और दही आदि खाने से सुस्‍ती आती है, जिससे नींद अधिक आती है और आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है। इसके अलावा सावन के मौसम अत्यधिक नमी के कारण गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्‍या भी पैदा होती है। इसलिए इस मौसम में दही से परहेज करना जरूरी है। 

--Advertisement--