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Up Kiran, Digital Desk: अब वह समय दूर नहीं जब भारत में स्पेस यानी अंतरिक्ष उद्योग का नेतृत्व करने के लिए इसरो (ISRO) के साथ-साथ निजी क्षेत्र (Private Sector) की कंपनियाँ भी तेज़ी से आगे आ रही हैं। इसी दिशा में स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) जैसी बड़ी स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। और देश के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स के लिए एक ज़बरदस्त ख़बर यह है कि इस कंपनी ने अपने साथ जुड़ने का सीधा मौका दिया है।

स्काईरूट एयरोस्पेस ने 'ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी' (Graduate Engineer Trainees – GETs) के पदों के लिए 'वॉक-इन ड्राइव' (Walk-in Drive) की घोषणा की, जिसका मतलब है बिना किसी लंबी ऑनलाइन प्रक्रिया के सीधे मौके पर आकर इंटरव्यू देना और नौकरी पाना।

इंजीनियरिंग फ्रेशर्स के लिए बड़ा मौका क्यों?

भारत का एयरोस्पेस सेक्टर अब युवा इंजीनियर्स (Young Engineers) और नए टैलेंट को बड़े पैमाने पर रोजगार (Jobs) देना चाहता है, और यह 'वॉक-इन ड्राइव' इसी का एक सीधा सबूत है।

सरल चयन प्रक्रिया: वॉक-इन इंटरव्यू का मतलब होता है कि उम्मीदवारों को आवेदन भरने, लंबी प्रतीक्षा करने और फ़िर कई स्क्रीनिंग राउंड से गुज़रने के बजाय अपनी डिग्री और ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ सीधे इंटरव्यू के लिए पहुँचना होता है। यह एक तेज़ भर्ती (Recruitment) प्रक्रिया है।

सीधा स्पेस सेक्टर से जुड़ाव: ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी के तौर पर स्काईरूट एयरोस्पेस में काम शुरू करना, किसी भी फ्रेशर्स (Freshers) के लिए सबसे बड़ी बात है। यह देश के सबसे बड़े तकनीकी मिशन और 'रॉकेट साइंस' (Rocket Science) की टीम का हिस्सा बनने जैसा है।

यह पहल युवा इंजीनियर्स को क्या देती है: आज के युवा अपनी स्किल्स (Skills) को ऐसी कंपनियों में लगाना चाहते हैं जहाँ उनके सीखने और आगे बढ़ने की गुंजाइश ज़्यादा हो। स्काईरूट न केवल इंजीनियरिंग के ज्ञान को परखती है, बल्कि उन उम्मीदवारों को हायर (Hire) करती है जिनमें समस्या सुलझाने का कौशल (Problem Solving Skills) और रॉकेटरी (Rocketry) में कुछ बड़ा करने की ललक हो।

भारत के अंतरिक्ष उद्योग के तेज़ विकास को देखते हुए, ऐसे डायरेक्ट इंटरव्यू न केवल कंपनियों का समय बचाते हैं, बल्कि देश की बेहतरीन प्रतिभाओं को भी सही जगह पहुँचाते हैं। यह साफ है कि आने वाले समय में देश के इंजीनियर्स के लिए एयरोस्पेस करियर के दरवाजे बड़े खुले रहने वाले हैं।