पेरिस: मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर साफ कर दिया वह वित्तीय अपराधों को लेकर कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं है। FATF ने अपनी ताजा बैठक के बाद ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमार को अपनी 'ब्लैकलिस्ट' में बरकरार रखा है।
क्या है यह ‘ब्लैकलिस्ट: 'ब्लैकलिस्ट', जिसे आधिकारिक तौर पर "High-Risk Jurisdictions subject to a Call for Action" (उच्च-जोखिम वाले देश जिन पर कार्रवाई की जरूरत कहा जाता है, उन देशों की सूची है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने में बुरी तरह से विफल रहे हैं।
FATF का मानना है कि इन देशों का वित्तीय सिस्टम इतना कमजोर है कि यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता ।
क्यों हैं ये देश ब्लैकलिस्ट में?उत्तर कोरिया: यह देश लंबे समय से अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को फंड करने के लिए अवैध तरीकों और मनी लॉन्ड्रिंग का इस्तेमाल करता रहा है।
ईरान: ईरान पर भी आतंकवादी समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और अपने वित्तीय सिस्टम में पारदर्शिता न बरतने के गंभीर आरोप।
म्यांमार: जब से म्यांमार में सेना ने सत्ता संभाली , वहां मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है, जिसके कारण उसे इस लिस्ट में डाला गया था और अब भी बरकरार रखा गया है।
ब्लैकलिस्ट में होने का क्या मतलब है?
किसी भी देश का FATF की ब्लैकलिस्ट में होना उसके लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक झटका होता है। इसका मतलब है:
उसे IMF, वर्ल्ड बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता ।
दुनिया के बाकी देश उसके साथ व्यापार करने से कतराते हैं।
उसके हर एक अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की बहुत बारीकी से जांच की जाती जिससे उसकी अर्थव्यवस्था практически ठप पड़ जाती ।
FATF का यह कदम इन देशों पर अपने सिस्टम में सुधार लाने के लिए एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाता ताकि वैश्विक वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित रखा जा सके।
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