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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में आस्था प्रबल है। पूजा-पाठ लोगों की नियमित दिनचर्या में शामिल है। ऐसा करने से मन को शांति भी मिलती है। अधिकांश घरों में पूजा घर होता है। मंदिर या पूजा घर की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रायः देखा गया है कि लोग पूजा घर बनाते समय वास्तु का ध्यान नहीं रखते। इसी तरह जाने या अनजाने में पूजा घर में तमाम प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, जो शास्त्रों के अनुसार अशुभ है।   
  
अधिकांश सनातनी परिवारों में पूजा घरों में भगवान की मूर्तियों के साथ ही गुरुओं, संतों व महात्माओं की तस्वीरें भी लगा दी जाती है। शास्त्रों में इसका निषेध है। पूजा घर में दिवंगत व्यक्ति की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यह अशुभ है। इससे पूजा का फल नहीं मिलता और घर-परिवार पर संकट भी आते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार भी पूजा घर में देवताओं की मूर्तियों के साथ या घर की दीवारों पर भी दिवंगत परिजनों की तस्वीरें नहीं होनी चाहिए। इससे देवी-देवता नाराज हो जाते हैं। इसी तरह पूर्वजों की प्रिय वस्तुओं को भी पूजा घर से दूर रखना आवश्यक है। पूर्वजों की तस्वीरें हमेशा घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही लगानी चाहिए।

इसी तरह अधिकांश लोग पूजा घर बनाने में गलती करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ होता है। इसके अलावा आप केवल उत्तर या पूर्व दिशा में भी पूजा स्थल बना सकते हैं। हालांकि उत्तर-पूर्व दिशा पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।  
 

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