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Up Kiran, Digital Desk: 23 अगस्त 2025, शनिवार को पड़ने वाली शनि अमावस्या का दिन बेहद खास है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए कुछ उपाय शनि देव को प्रसन्न करने और जीवन की मुश्किलों को दूर करने में बहुत मददगार साबित होते हैं। अगर आप भी अपनी किस्मत चमकाना चाहते हैं, नौकरी, व्यापार या धन संबंधी परेशानियां झेल रहे हैं, तो इस बार की शनि अमावस्या पर कुछ खास चीजों का ध्यान रख सकते हैं।

क्यों खास है शनि अमावस्या?

शनि देव को कर्मफल दाता कहा जाता है, यानी वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब वे प्रसन्न होते हैं तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है, लेकिन यदि वे नाराज हो जाएं तो जीवन में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शनि अमावस्या, जो कि शनिवार को पड़ती है, शनि देव की कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन पितरों की पूजा का भी विशेष महत्व है।

शनि देव को प्रसन्न करने के सरल उपाय:

शनि चालीसा और मंत्र जाप: शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा का पाठ करना बहुत फलदायी होता है। इसके अलावा, 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करने से शनि देव की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।

दान-पुण्य का महत्व: इस दिन काले तिल, उड़द की दाल, लोहा, काला कपड़ा या सरसों का तेल जैसी शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए। इससे शनि की पीड़ा कम होती है और आर्थिक स्थिति सुधरती है।

काले कुत्ते को भोजन: काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाना शनि देव को प्रसन्न करने का एक बहुत ही कारगर तरीका माना जाता है।

पीपल के पेड़ की पूजा: शनि देव को पीपल का पेड़ प्रिय है। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

पितरों की शांति: अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। इस दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य करना और पितृ स्तोत्र का पाठ करना पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है और घर में सुख-शांति लाता है।

हनुमान जी की आराधना: शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वे राम भक्तों को परेशान नहीं करेंगे। इसलिए, हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि देव का प्रकोप कम होता है।

भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी समस्याओं से बचाव के लिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

खासकर आपके लिए:अगर आप आर्थिक तंगी या करियर में बाधाओं से जूझ रहे हैं, तो 23 अगस्त की शनि अमावस्या पर काले तिल और उड़द की दाल का दान करें। शाम को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना न भूलें।

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