
Up Kiran, Digital Desk: क्या आप भी एक वर्किंग मॉम हैं? क्या ऑफिस में काम करते हुए आपका दिल भी घर पर बच्चे के लिए परेशान रहता है? क्या आपको भी अक्सर यह सोचकर पछतावा होता है कि आप अपने बच्चे को पूरा समय नहीं दे पा रही हैं? अगर हां, तो यह कहानी सिर्फ आपके लिए है।
हमारे समाज ने 'परफेक्ट मां' की एक ऐसी तस्वीर बना दी है जो 24/7 अपने बच्चे के साथ रहती है, जिसका घर हमेशा साफ-सुथरा रहता है और जो एक सुपरहीरो की तरह हर जिम्मेदारी बिना थके निभाती है। इस काल्पनिक छवि ने हर कामकाजी मां के मन में एक अपराधबोध (guilt) भर दिया है।
लेकिन क्या आपने कभी सिक्के का दूसरा पहलू देखने की कोशिश की है? क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपकी यह 'गैरमौजूदगी' असल में आपके बच्चे को जिंदगी के वो सबसे बड़े और जरूरी सबक सिखा रही है, जो शायद दुनिया का कोई स्कूल या किताब नहीं सिखा सकती?
1. आत्मनिर्भरता का पहला पाठ
जब आप घर पर नहीं होतीं, तो आपका बच्चा छोटी-छोटी चीजों के लिए आप पर निर्भर रहना छोड़ देता है। वह अपने जूते के फीते खुद बांधना सीखता है, भूख लगने पर फ्रिज से फल निकालकर खाना सीखता है, और अपने खिलौने खुद समेटना सीखता है। यह आत्मनिर्भरता का पहला और सबसे अहम सबक है, जो उसे जिंदगी भर मजबूत बनाएगा।
2. मेहनत और सपनों की कीमत
आपका बच्चा रोज आपको काम के लिए तैयार होते देखता है। वह समझता है कि घर चलाने के लिए, सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करना कितना जरूरी है। वह काम के प्रति सम्मान करना सीखता है। आपकी मेहनत उसे यह सिखाती है कि जिंदगी में कुछ भी हासिल करने के लिए लगन और समर्पण चाहिए।
3. बराबरी का सबसे बड़ा सबक
जब एक बेटी अपनी मां को काम करते, पैसे कमाते और फैसले लेते देखती है, तो वह सीखती है कि एक औरत सिर्फ घर संभालने के लिए नहीं बनी है। उसके भी सपने हो सकते हैं और वह उन्हें पूरा कर सकती है। वहीं, जब एक बेटा अपनी मां को एक मजबूत प्रोफेशनल के रूप में देखता है, तो वह महिलाओं का सम्मान करना सीखता है। वह जानता है कि घर और बाहर की जिम्मेदारियां मर्द और औरत दोनों की बराबर होती हैं। यह लैंगिक समानता (gender equality) का सबसे प्रैक्टिकल पाठ है।
4. रिश्तों की गहराई, ना कि घंटों की गिनती
वर्किंग मांएं जानती हैं कि उनके पास बच्चों के लिए समय कम होता है, इसलिए वे 'क्वांटिटी' पर नहीं, 'क्वालिटी' पर ध्यान देती हैं। ऑफिस से आने के बाद का दो घंटा हो या वीकेंड का दिन, वे उसे पूरी तरह से अपने बच्चे के नाम कर देती हैं। इससे बच्चा भी समझता है कि साथ गुजारे गए पल कितने कीमती होते हैं और प्यार हर पल साथ रहने से नहीं, बल्कि गहरे जुड़ाव से बढ़ता है।
शेरनी से सीखें सबक
प्रकृति हमें सबसे बड़ी सीख देती है। एक शेरनी अपने बच्चों के पास हर पल मंडराती नहीं रहती। वह शिकार करने जाती है, काम करती है, यह जानते हुए कि उसके बच्चे को इंतजार करना होगा, थोड़ा भटकना होगा, शायद ठोकर भी खानी होगी। लेकिन वह लौटती है, और अपने बच्चों को सिखाती है कि असली ताकत हर खतरे से बचाने में नहीं, बल्कि खतरों का सामना करने के लिए तैयार करने में है। आज की वर्किंग मॉम भी उसी शेरनी की तरह है।
तो अगली बार जब आपके मन में एक 'बुरी मां' होने का ख्याल आए, तो खुद को याद दिलाइएगा कि आप अपने बच्चे को कमजोर नहीं, बल्कि आने वाली दुनिया के लिए ज्यादा मजबूत, समझदार और आत्मनिर्भर बना रही हैं। आप एक 'परफेक्ट' मां भले ही न हों, लेकिन आप एक 'रियल' और 'प्रेरणादायक' मां जरूर हैं।