_60753257.png)
Up Kiran, Digital Desk: विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बिहार की सियासत गरमा गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है, और इस बार मुद्दा है नई वोटर लिस्ट। जहां एक ओर विपक्ष ने सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं, वहीं दूसरी ओर इलेक्शन कमीशन ने 'वोटर का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)' अभियान शुरू कर दिया है, जिससे राजनीतिक पारा और चढ़ गया है।
घर-घर पहुंच रहे बीएलओ, विपक्षी दलों में बेचैनी
इस विशेष अभियान के तहत, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं को 'गणना पत्र' यानी 'इम्युमरेशन फॉर्म' बांट रहे हैं। इसी कवायद को लेकर विपक्ष की तरफ से कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से स्पष्ट किया है कि मतदाताओं को यह फॉर्म भरकर संबंधित दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा। आयोग का तर्क है कि इससे फर्जी मतदाताओं की पहचान हो सकेगी और नए वोटरों को सूची में शामिल किया जा सकेगा। आयोग ने यह भी साफ किया है कि इस कार्यक्रम में कोई भी असली मतदाता छूटने नहीं पाएगा।
अगर आपको मिला है फॉर्म, तो क्या करें?
यदि आपको भी बीएलओ द्वारा यह फॉर्म दिया गया है, तो आपको इसमें अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, फोटो, पता, EPIC नंबर (पहचान पत्र संख्या), आधार नंबर, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर और माता-पिता से जुड़ी जानकारी भरनी होगी। यह जानकारी ऑनलाइन भी भरी जा सकती है। गौरतलब है कि बिहार में आखिरी बार इस तरह का पुनरीक्षण अभियान साल 2003 में चलाया गया था। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को अपनी जन्म तिथि या स्थान की सत्यता स्थापित करने के लिए कोई एक वैध दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होगा।
इंडिया गठबंधन की 'नाराजगी': 'वजूद खत्म करने की साजिश'
बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट के इस बड़े बदलाव के फैसले से 'इंडिया' गठबंधन में भारी नाराजगी है। यह काम 29 जुलाई तक चलने वाला है, और विपक्ष ने मांग की है कि आयोग इस फैसले पर तुरंत रोक लगाए। सूत्रों की मानें तो 'इंडिया' गठबंधन जल्द ही चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस अभियान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "हमें संदेह है कि इस कवायद का उद्देश्य, जिसमें मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों के पास हो सकते हैं, इस फैसले की मदद से बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित करना है। विशेष रूप से दलित, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग जैसे वंचित वर्गों को।"
वहीं, AICC मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने इसे और भी आगे बढ़ाते हुए कहा, "ये खुले तौर से साजिश है, डाका है। ये डाका सिर्फ बिहार के वोटरों पर नहीं, उनके अधिकारों पर, उनकी पहचान पर, उनकी नागरिकता पर डाला जा रहा है। बिहार के लोगों के वजूद को खत्म करने की यह साजिश रची जा रही है।"
--Advertisement--