
नई दिल्ली—चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिनमें यह कहा गया था कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है। आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अब तक केवल 89 अपील ही दर्ज की गई हैं, जोकि पूरे राज्य के आंकड़ों की तुलना में बेहद मामूली हैं। आयोग का दावा है कि विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।
चुनाव आयोग का पक्ष: प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी
चुनाव आयोग ने अपनी ओर से यह स्पष्ट किया है कि हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का संशोधन एक नियमित प्रक्रिया है। इसमें नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा जाता है और मृत, स्थानांतरित या अपात्र हो चुके लोगों के नाम सूची से हटाए जाते हैं। आयोग का तर्क है कि यह पूरी प्रक्रिया न्यायसंगत और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर आधारित होती है।
आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में सुधार का उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। इसके तहत डुप्लिकेट एंट्री और मृतक मतदाताओं को हटाया जाता है, जिससे कि चुनाव में किसी भी तरह की अनियमितता न हो।
महाराष्ट्र में मात्र 89 अपील—विपक्ष का दावा खोखला
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में अब तक सिर्फ 89 अपील दर्ज हुई हैं। यह संख्या तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब पूरे देश में 1.38 करोड़ से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट (BLA) तैनात थे। सूत्रों का कहना है कि यदि मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी होती, तो शिकायतों की संख्या कहीं ज्यादा होती।
सूत्रों ने यह भी जोड़ा कि जिन लोगों को मतदाता सूची पर संदेह है, उन्हें 1961 के उस चुनाव कानून को पढ़ना चाहिए जिसे संसद ने पारित किया था। उसी कानून के अंतर्गत मतदाता सूची में संशोधन, अपील और आपत्ति दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है।
ईपीआईसी नंबर का अर्थ डुप्लिकेट नहीं—आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि एक ही ईपीआईसी (EPIC) नंबर वाले मतदाताओं का होना जरूरी नहीं कि वे डुप्लिकेट या नकली मतदाता हों। कई बार तकनीकी प्रक्रियाओं के चलते इस तरह के मामले सामने आ सकते हैं, लेकिन उनका मतलब फर्जीवाड़ा नहीं होता।
राहुल गांधी ने संसद में उठाया था मामला
इस पूरे विवाद की जड़ तब बनी जब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में मतदाता सूची में विसंगतियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने विशेषकर महाराष्ट्र की मतदाता सूची को लेकर सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि 2019 से 2024 के बीच राज्य में करीब 30 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जिनमें भारी गड़बड़ियां हो सकती हैं।
राहुल गांधी की इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस और उसके अन्य सहयोगी दलों ने चुनाव आयोग पर निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। उन्होंने मांग की थी कि इस पूरे मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
चुनाव से पहले आरोपों की राजनीति तेज
चूंकि आने वाले महीनों में बिहार समेत कई राज्यों में चुनाव प्रस्तावित हैं, इसलिए विपक्ष इस मुद्दे को बार-बार उठाने की रणनीति पर काम कर रहा है। चुनाव आयोग, अपनी ओर से, आंकड़े और कानूनी प्रक्रियाएं सामने रखकर अपनी निष्पक्षता साबित करने की कोशिश कर रहा है।