img

Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख की राजधानी लेह बुधवार को अचानक तनाव की चपेट में आ गई जब युवाओं और छात्रों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया। दिनभर शहर के अलग-अलग हिस्सों में आगजनी और झड़पों की खबरें आती रहीं। आम नागरिकों में डर का माहौल बना रहा और जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया।

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने भाजपा के स्थानीय कार्यालय को भी निशाना बना डाला। आगजनी की इस घटना ने हालात को और बिगाड़ दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा।

सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल को दी विराम

पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो कि लद्दाख को पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची के दायरे में लाने की मांग को लेकर 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे, उन्होंने हिंसा को देखते हुए अपनी हड़ताल को स्थगित कर दिया। उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि हिंसा आंदोलन की भावना को नुकसान पहुंचाती है।

वांगचुक ने सोशल मीडिया के जरिए एक वीडियो संदेश जारी कर युवाओं से संयम बरतने और अहिंसात्मक मार्ग अपनाने का आग्रह किया।

लद्दाख की मांगों के पीछे का संघर्ष

2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, लेकिन तब से ही यहां की जनता राज्य के अधिकारों की मांग कर रही है।
प्रदर्शनकारी मुख्यतः तीन अहम मुद्दों को लेकर एकजुट हैं:

  • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
  • छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक संरक्षण
  • दो लोकसभा सीटों की मांग – एक लेह और एक कारगिल के लिए
  • इसके अलावा स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की मांग भी जोर पकड़ रही है।

छठी अनुसूची क्या है और क्यों जरूरी है?

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची फिलहाल केवल चार पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है – असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम। इसका मकसद जनजातीय समुदायों को स्वायत्तता और संसाधनों पर अधिकार देना है। लद्दाख की जनसंख्या भी मुख्यतः जनजातीय है, इसलिए वहां के लोग इसी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

एलएबी (लद्दाख एपेक्स बॉडी) और केडीए (कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस) लंबे समय से इस दिशा में संघर्ष कर रहे हैं।