img

Up kiran,Digital Desk : वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मजबूत प्रदर्शन किया है। इस दौरान इक्विटी और डेट के जरिए कुल 9.7 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले करीब 13 प्रतिशत अधिक है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के अनुसार, अकेले इक्विटी से जुटाई गई राशि लगभग 2 लाख करोड़ रुपये रही, जिसमें आईपीओ से प्राप्त 64,363 करोड़ रुपये शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में मेनबोर्ड पर 54 और एसएमई प्लेटफॉर्म पर 68 कंपनियों समेत कुल 122 कंपनियां सूचीबद्ध हुईं। इन लिस्टिंग्स के चलते बाजार पूंजीकरण में करीब 4.1 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

एनएसई ने बताया कि 22 सितंबर 2025 तक उसका पंजीकृत निवेशक आधार 12 करोड़ के पार पहुंच गया। बीते आठ महीनों में ही इसमें एक करोड़ नए निवेशक जुड़े हैं। खास बात यह रही कि कुल निवेशकों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत रही, जबकि 55.6 प्रतिशत नए निवेशक 30 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं।

नए निवेशकों में उत्तर प्रदेश अव्वल

नए रजिस्ट्रेशन के मामले में उत्तर प्रदेश लगातार 32वें महीने शीर्ष पर रहा, जिससे देश में कुल क्लाइंट अकाउंट की संख्या बढ़कर करीब 23.7 करोड़ हो गई। अक्टूबर में आई रिकवरी के बाद बाजार दिसंबर तक अधिकतर समय सीमित दायरे में रहा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लगातार बिकवाली को घरेलू संस्थागत निवेशकों के समर्थन और स्थिर एसआईपी प्रवाह ने संतुलित बनाए रखा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी 50 में सालाना आधार पर 10.2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई, जो भले ही तुलनात्मक रूप से कम प्रदर्शन दिखाती हो, लेकिन बाजार की आंतरिक मजबूती को दर्शाती है। वहीं FY26 की सितंबर तिमाही के नतीजों में अस्पताल, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज, बंदरगाह, एनबीएफसी और टेलीकॉम जैसे सेक्टरों में EBITDA और मुनाफे में दोहरे अंकों की वृद्धि देखने को मिली।

गौरतलब है कि पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत से अक्टूबर तक भारतीय बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव रहा। खासतौर पर अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने बाजार की धारणा को कमजोर किया, जिससे कई मौकों पर तेज गिरावट भी देखने को मिली।