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Up Kiran, Digital Desk: अहमदाबाद में लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने से देश के नागरिक उड्डयन क्षेत्र को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। आमतौर पर घरेलू उड़ानों में हवा में तकनीकी खराबी के अलावा ज्यादा जोखिम नहीं होता। लेकिन, 2023 से सीमा के पास उड़ान भरना खतरनाक हो गया है।
हवा में विमानों के जीपीएस या जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) में हस्तक्षेप करने (जीपीएस स्पूफिंग) के सैकड़ों प्रयास हो चुके हैं। चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि नवंबर 2023 से 25 मार्च 2025 के बीच साढ़े चार सौ से अधिक बार विभिन्न विमानों के जीपीएस में हस्तक्षेप किया गया।
जीपीएस 'स्पूफिंग' वास्तव में क्या है
जीपीएस स्पूफिंग में, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) द्वारा प्रेषित संकेतों में जानबूझकर हेरफेर किया जाता है। जीपीएस/जीएनएसएस जैमिंग का उद्देश्य जीपीएस रिसीवर को गलत स्थान या समय दिखाकर भ्रम पैदा करना है। यह स्पूफिंग पायलटों को गलत डेटा देती है। इससे नेविगेशनल सिस्टम, डिवाइस और सैटेलाइट आधारित सिस्टम प्रभावित हो सकते हैं।
कहां हुई हस्तक्षेप की घटनाएं
विभिन्न एयरलाइनों से विमानों के जीपीएस सिस्टम में हस्तक्षेप की कई शिकायतें मिली हैं। डीजीसीए (नागरिक विमानन महानिदेशालय) को रिपोर्ट दी गई है। ये घटनाएं खासकर अमृतसर और आसपास के इलाकों में बढ़ी हैं। नवंबर 2023 से मार्च 2025 तक 17 महीनों में जीपीएस या जीएनएसएस सिस्टम में हस्तक्षेप करने की 465 कोशिशें हुईं। इस संबंध में रिपोर्ट मिलने के बाद डीजीसीए की ओर से एयरमैन को नोटिस जारी किया जाता है। 2023 में ही इराक में ऐसी कोशिशें देखी गईं। तब से लेकर अब तक कई देशों की एयरलाइंस इस समस्या का सामना कर रही हैं।
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