
Up Kiran, Digital Desk: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन दावों पर स्पष्टता से जवाब दिया, जिनमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान सीज़फ़ायर में वॉशिंगटन की भूमिका का ज़िक्र किया था। जयशंकर ने दोहराया कि भारत पिछले 50 से भी ज़्यादा समय से अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता (mediation) को स्वीकार नहीं करता है।
'द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025' में बोलते हुए, जयशंकर ने कहा, "भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता के मुद्दे पर, 1970 के दशक से, पिछले 50 सालों से, हमारे देश में एक राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं।"
'ऑपरेशन सिंदूर' में अमेरिकी भूमिका पर जयशंकर का बयान
जब उनसे पूछा गया कि क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोई रचनात्मक भूमिका निभाई थी, तो जयशंकर ने जवाब दिया, "यह सच है कि उस समय फोन कॉल्स किए गए थे। अमेरिका ने फोन कॉल्स किए थे, और दूसरे देशों ने भी किए थे। यह कोई गुप्त बात नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब ऐसी कोई घटना होती है, तो देश एक-दूसरे को कॉल करते हैं। जब इज़राइल-ईरान और रूस-यूक्रेन का मामला हुआ, तब मैंने भी कॉल किया था।
यह एक अंतर-निर्भर दुनिया (inter-dependent world) है और जिन देशों का अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक मज़बूत इतिहास रहा है, वे ऐसा करेंगे। यह एक बात है। हालांकि, मध्यस्थता का दावा करना या यह कहना कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो समझौता हुआ था, वह उनके बीच नहीं हुआ था, यह बिल्कुल अलग बात है।"
विदेश मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जहां देशों का एक-दूसरे से संपर्क करना स्वाभाविक है, वहीं किसी भी द्विपक्षीय मामले में मध्यस्थता का दावा करना या बातचीत के नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश करना, भारत की स्थापित नीति के विरुद्ध है।
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