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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में एक और बड़ा राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कभी सबसे करीबी रहे, लेकिन आज सबसे बड़े आलोचकों में से एक, जॉन बोल्टन पर देश के सबसे गोपनीय दस्तावेज़ों को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगा है. शुक्रवार को अदालत में पेश हुए बोल्टन ने खुद को "नॉट गिल्टी" यानी बेकसूर बताया और सारे आरोपों को ख़ारिज कर दिया.

यह मामला सिर्फ दस्तावेज़ों की हेराफेरी का नहीं है, बल्कि इसने अमेरिका में बदले की राजनीति पर एक नई बहस छेड़ दी है.

क्या हैं जॉन बोल्टन पर आरोप: 76 वर्षीय जॉन बोल्टन, जो ट्रंप के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैसे अहम पद पर थे, पर कुल 18 मामलों में आरोप तय किए गए हैं. उन पर आरोप है कि:

मामले में ईरान का एंगल: इस केस में एक चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब जांच में पता चला कि बोल्टन का वह पर्सनल ईमेल अकाउंट हैक हो गया था, जिससे उन्होंने ये सीक्रेट नोट्स भेजे थे. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस हैकिंग के पीछे ईरान से जुड़े हैकर्स का हाथ हो सकता है, जिसका मतलब है कि अमेरिका के टॉप सीक्रेट दस्तावेज़ दुश्मनों के हाथ लग गए होंगे.

बोल्टन का पलटवार: "मुझे फंसाया जा रहा है"

दूसरी तरफ, जॉन बोल्टन ने इन सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है. उन्होंने एक बयान में कहा कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. बोल्टन का आरोप है कि ट्रंप न्याय विभाग को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करके अपने राजनीतिक दुश्मनों को फंसा रहे हैं.

बोल्टन ने कहा, "पहले भी इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया गया था, लेकिन अब सिर्फ मुझे निशाना बनाने के लिए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है."

दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ हफ्तों में ट्रंप के कई और आलोचकों, जैसे FBI के पूर्व डायरेक्टर जेम्स कॉमी, पर भी आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे बोल्टन के दावों को और हवा मिल रही है.

अदालत ने फिलहाल बोल्टन को ज़मानत दे दी है, लेकिन उनके देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी है. अब पूरी दुनिया की नज़रें इस केस पर टिकी हैं कि क्या यह वाकई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है या फिर अमेरिका के सबसे बड़े राजनीतिक घरानों में चल रही बदले की लड़ाई का एक नया अध्याय.