img

Up Kiran, Digital Desk: समस्तीपुर का जिला कोर्ट परिसर जो आमतौर पर कानूनी प्रक्रियाओं और अनुशासन का प्रतीक होता है बुधवार की दोपहर अचानक अफरातफरी और चीख-पुकार में बदल गया। कोर्ट परिसर की ऊंची दीवारों और भीड़भाड़ से भरे गलियारों में उस वक्त दहशत फैल गई जब पेशी के लिए लाए गए पांच में से चार अपराधी पुलिस की गिरफ्त से निकलकर फरार हो गए।

धूप में तपते उस दोपहर जब हथकड़ियों में जकड़े कैदियों को कोर्ट हाजत की ओर ले जाया जा रहा था तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे पुलिस महकमे की नींद उड़ा दी।

पल भर में टूटी सुरक्षा की जंजीर

एकाएक कोर्ट हाजत का दरवाज़ा खुला और अगले ही पल जैसे सब कुछ धुंधला हो गया एक झटका एक तेज़ दौड़ और पुलिस की पकड़ से फिसलती हथकड़ियाँ। भीड़भाड़ और अराजकता के बीच पांचों कैदी सिपाही से हाथ छुड़ाकर भागने लगे। ये कोई मामूली अपराधी नहीं थे ये वे नाम थे जिनके किस्से जिले भर की फाइलों में दर्ज हैं।

हंगामे के बीच पुलिस ने नागेंद्र कुमार को धर दबोचा जो भागने की कोशिश में सबसे पीछे छूट गया था। मगर बाकी चार मानो पहले से ही इस मौके का इंतज़ार कर रहे थे तेज़ी से भीड़ में गुम हो गए।

फरार अपराधी: नाम जिनसे इलाका कांपता है

फरार कैदियों में सबसे बड़ा नाम है राजनंदन उर्फ छोटू उर्फ हंटर वही जो पिछले साल नगर थाना क्षेत्र में हुए बहुचर्चित अनिल ज्वेलर्स लूटकांड का मुख्य आरोपी है। उसके साथ भागे तीन अन्य अपराधी हैं: अरविंद सहनी मनीष कुमार और मंजीत कुमार जिनपर सरायरंजन थाना क्षेत्र में दर्जनों लूट और संगीन मामलों के केस दर्ज हैं।

इन नामों के फरार होने की खबर कोर्ट परिसर में जंगल की आग की तरह फैली। वकीलों मुवक्किलों और स्टाफ में दहशत फैल गई। हर कोई सहमा हुआ था कैसे कोई इतनी आसानी से सुरक्षा घेरा तोड़कर भाग सकता है?

पुलिस महकमे में हड़कंप अफसरों की नींद गायब

घटना की जानकारी मिलते ही सदर डीएसपी संजय पांडेय भारी पुलिस बल के साथ कोर्ट पहुंचे। चारों ओर सायरनों की आवाज़ें गूंजने लगीं और चप्पे-चप्पे पर तलाशी अभियान शुरू हो गया। सभी थानों को अलर्ट पर रखा गया है और आसपास के इलाकों में नाकेबंदी कर दी गई है।

इस हादसे ने पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं क्या कोर्ट परिसर जैसी 'संवेदनशील' और 'सुरक्षित' जगह भी अब सुरक्षित नहीं रही? पुलिसकर्मियों की लापरवाही पर भी ऊंगली उठ रही है। सूत्रों की मानें तो जिन सिपाहियों की निगरानी में ये कैदी लाए गए थे उन पर जल्द ही अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

कैसे टूटा भरोसा, कैसे ढह गई व्यवस्था

कोर्ट परिसर जहां न्याय की देवी की मूर्ति के नीचे कानून की मर्यादा बसती है अब खुद उस व्यवस्था की असफलता का गवाह बन चुका है। जिन दीवारों के भीतर फैसले सुनाए जाते हैं वहीं अपराधी पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भाग निकले। यह घटना न सिर्फ एक सुरक्षा चूक है बल्कि सिस्टम की नब्ज़ पर उठता गहरा सवाल भी।

 

 

--Advertisement--