img

Up Kiran, Digital Desk: जम्मू और उधमपुर जिलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कई जगहों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई कस्टोडियन लैंड (Custodian Land) यानी खाली छोड़ी गई सरकारी जमीन को हड़पने के मामले से जुड़ी है। ED के एक बयान के अनुसार, यह जमीन उन लोगों द्वारा छोड़ी गई थी जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे।

क्या है पूरा मामला?

ED ने PMLA, 2002 (धन शोधन निवारण अधिनियम) के प्रावधानों के तहत 22 अगस्त को कई परिसरों में तलाशी ली। इसमें विभिन्न पटवारी, तहसीलदार, बिचौलिए और ज़मीन हड़पने वाले लोग शामिल थे। इन पर आरोप है कि इन्होंने मिलीभगत करके लगभग 502.5 कैनाल (लगभग 63 एकड़) सरकारी कस्टोडियन ज़मीन पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के ज़रिये कब्ज़ा कर लिया।

ED की जांच और खुलासे:

ED ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) द्वारा दर्ज की गई विभिन्न FIRs के आधार पर जांच शुरू की। ED की जांच से पता चला है कि सरकारी राजस्व अधिकारियों का एक पूरा तंत्र, निजी व्यक्तियों, ज़मीन हड़पने वालों और बिचौलियों के साथ मिलकर काम कर रहा था। उन्होंने मिलकर जम्मू और उसके आसपास की लगभग 502.5 कैनाल सरकारी कस्टोडियन ज़मीन को हड़प लिया।

20 करोड़ की ज़मीन का खेल:

इस हड़पी गई ज़मीन की अनुमानित कीमत ₹20 करोड़ है। ED के अनुसार, 2022 से यह अवैध कब्ज़ा किया जा रहा था। इसके लिए जाली दस्तावेज़ (forged documents) बनाए गए, जिनमें बैक-डेटेड म्यूटेशन रिकॉर्ड, पावर ऑफ अटॉर्नी, बिक्री विलेख (sale deeds) और राजस्व रिकॉर्ड में झूठी एंट्रीज़ शामिल हैं। इस तरह से हड़पी गई सरकारी ज़मीन को बाद में जाली दस्तावेज़ों के ज़रिये बेच दिया गया। इस ज़मीन की बिक्री से प्राप्त राशि (Proceeds of Crime) को आरोपियों के विभिन्न खातों के ज़रिये व्यक्तिगत उपयोग के लिए इधर-उधर किया गया।

तलाशी में क्या मिला?

तलाशी के दौरान ED को संपत्तियों, राजस्व रिकॉर्ड और डिजिटल सबूतों से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ मिले हैं। ED फिलहाल इस मामले में आगे की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में हवाला मनी रैकेट, मनी लॉन्ड्रिंग और नशीले पदार्थों की तस्करी से उत्पन्न धन भी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के निशाने पर है।

--Advertisement--