
Up Kiran, Digital Desk: कारगिल युद्ध (1999) भारतीय सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने देश को अपनी रक्षा क्षमताओं पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया। इस युद्ध ने हमारी सेना की कमियों को उजागर किया, विशेष रूप से ऊंचे पहाड़ी इलाकों में आर्टिलरी समर्थन और हवाई मारक क्षमता के मामले में। तब से लेकर आज तक, भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को आधुनिक बनाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक लंबा सफर तय किया है।
आर्टिलरी में क्रांति: बोफोर्स से वज्र तक
बोफोर्स का महत्व: कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोपों ने दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी सटीकता और गोलाबारी क्षमता ने साबित कर दिया कि आधुनिक आर्टिलरी कितनी निर्णायक हो सकती है।
आत्मनिर्भरता की ओर: इस अनुभव के बाद, भारत ने केवल आयात पर निर्भर रहने के बजाय अपनी आर्टिलरी क्षमताओं को स्वदेशी रूप से विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया।
के9 वज्र (K9 Vajra): आज, भारत के पास दक्षिण कोरिया के सहयोग से निर्मित के9 वज्र जैसी उन्नत स्व-चालित होवित्जर तोपें हैं। ये तोपें अपनी गतिशीलता, मारक क्षमता और सटीक वार के लिए जानी जाती हैं, जो विभिन्न भूभागों में प्रभावी हैं।
धनुष (Dhanush) और सारंग (Sarng): भारतीय ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों द्वारा निर्मित 'धनुष' (बोफोर्स का स्वदेशी संस्करण) और 'सारंग' जैसे फील्ड गन भी अब सेना का हिस्सा हैं, जो 'मेक इन इंडिया' पहल का उदाहरण हैं।
हवाई शक्ति: मिग से राफेल और तेजस तक
मिग-21 की सीमाएं: कारगिल में मिग-21 जैसे पुराने लड़ाकू विमानों की ऊंचे इलाकों में परिचालन क्षमता सीमित थी, जिससे हवाई समर्थन में दिक्कतें आईं।
आधुनिक बेड़ा: तब से, भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े को कई गुना मजबूत किया है। इसमें रूसी सुखोई Su-30MKI, फ्रांसीसी राफेल (Rafale) और स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस (Tejas) शामिल हैं।
बहुमुखी क्षमता: ये विमान उन्नत एविओनिक्स, बेहतर हथियार प्रणालियों और लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता से लैस हैं, जो हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करते हैं।
मिसाइल शक्ति: पृथ्वी से ब्रह्मोस और अग्नी तक
प्रारंभिक मिसाइलें: कारगिल के समय भारत की मिसाइल क्षमताएं अपनी प्रारंभिक अवस्था में थीं, मुख्य रूप से पृथ्वी श्रृंखला तक सीमित थीं।
ब्रह्मोस (BrahMos): आज, भारत के पास दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस है, जिसे जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। यह दुश्मन के लक्ष्यों को सटीकता से भेदने की बेजोड़ क्षमता प्रदान करती है।
अग्नि (Agni) और पृथ्वी (Prithvi) श्रृंखला: लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
एमआरएसएएम (MRSAM) और आकाश (Akash): मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें MRSAM और स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली वायु रक्षा को मजबूत करती हैं।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और निगरानी: भारत ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare) क्षमताओं और अत्याधुनिक निगरानी प्रणालियों में भी भारी निवेश किया है, जिसमें उपग्रह आधारित निगरानी और ड्रोन तकनीक शामिल है।
कारगिल युद्ध ने भारत को अपनी सैन्य आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए उत्प्रेरित किया। बोफोर्स से ब्रह्मोस तक का सफर इस बात का प्रमाण है कि भारत ने न केवल अपनी कमियों को दूर किया है, बल्कि एक क्षेत्रीय सैन्य शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को भी मजबूत किया है, जो अब 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य के साथ स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ज़ोर दे रहा है।
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