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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में राजनीतिक गतिविधियों ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है, खासकर कांग्रेस पार्टी की ओर से किए जा रहे संगठनात्मक प्रयासों और चुनावी प्रक्रियाओं पर सवालों के बीच। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने हाल ही में प्रेस से बातचीत के दौरान अपनी पार्टी की रणनीतियों और निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर विस्तार से चर्चा की।
कांग्रेस की जमीनी तैयारियों पर फोकस
राजेश कुमार ने बताया कि संगठन को मजबूत करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिलों में नेतृत्व को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति दोबारा की गई है। इसके साथ ही संविधान के मूल्यों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए विभिन्न संविधान सम्मेलन भी आयोजित किए गए हैं।
‘हर घर माई बहिन मान’ जैसी योजना को तेज़ी से लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और परिवारों को सामाजिक जागरूकता से जोड़ना है। इसके अतिरिक्त, ‘हर घर झंडा’ अभियान और संवाद कार्यक्रमों के ज़रिए कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर लोगों से संपर्क को बढ़ाया है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इन सभी पहलों ने संगठन को न सिर्फ मजबूती दी है, बल्कि जनता के साथ सीधा जुड़ाव भी सुनिश्चित किया है।
मतदाता सूची पर उठे सवाल
लोकसभा चुनाव संपन्न हुए एक वर्ष हो चुका है और अब मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग महज 25 दिनों में दस्तावेज़ जमा करवाने की बात कर रहा है, जबकि बिहार जैसे विशाल राज्य में, जहां करीब 8 करोड़ मतदाता हैं, इतने कम समय में यह कार्य असंभव सा प्रतीत होता है।”
राजेश कुमार ने यह भी कहा कि दो दशक पहले मतदाता सूची का डिजिटलीकरण हुआ था, लेकिन तब से अब तक ऐसा गहन पुनरीक्षण नहीं हुआ। पहले नागरिकता का प्रमाण देना आवश्यक नहीं था, पर अब लोगों से सबूत मांगे जा रहे हैं। इस तरह की प्रक्रिया आम लोगों को अनावश्यक दबाव में डालती है।
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