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Up Kiran, Digital Desk- गुरुवार सायं दिल्ली की सर्द हवाओं में एक गर्मजोशी भरी मुलाक़ात ने कई उम्मीदों को नई उड़ान दी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने देश की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से शिष्टाचार भेंट की — लेकिन यह मुलाक़ात सिर्फ औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रही। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के लिए कई अहम बजटीय और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा हुई जिनका सीधा संबंध राज्य की आर्थिक सेहत और वहाँ के लोगों की आजीविका से है।
सेब पर संकट: तुर्की से आयात और स्थानीय किसान
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बातचीत की शुरुआत ही एक बेहद संवेदनशील और ज्वलंत मुद्दे से की — तुर्की से आयातित सेब। उन्होंने कहा कि इस सस्ती दर पर आने वाले सेबों से देश के खासतौर पर हिमाचल जैसे राज्यों के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है। सस्ते आयात के चलते स्थानीय किसानों को उनका मेहनताना नहीं मिल पाता और मंडियों में उनकी उपज औने-पौने दामों में बिकती है।
मुख्यमंत्री ने मांग रखी कि सेब पर आयात शुल्क में व्यापक वृद्धि की जाए ताकि देशी किसानों की मेहनत और उनके उत्पाद की उचित क़ीमत सुनिश्चित हो सके। यह सिर्फ एक आर्थिक मांग नहीं बल्कि हिमाचल के हज़ारों किसानों की आजीविका का सवाल है।
वित्तीय बाधाएं और उधारी सीमा का मुद्दा
सिर्फ बागवानी ही नहीं हिमाचल की समग्र वित्तीय स्थिति भी इस बातचीत का एक अहम हिस्सा रही। मुख्यमंत्री सुक्खू ने सीतारमण को बताया कि राज्य सरकार ने अपने राजकोषीय प्रबंधन में सुधार लाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं — फिर चाहे वह खर्चों पर नियंत्रण हो या आय बढ़ाने के प्रयास। बावजूद इसके हिमाचल समेत कई विशेष श्रेणी राज्यों को वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने विशेष आग्रह किया कि इन राज्यों की उधारी सीमा को न्यूनतम दो प्रतिशत तक बढ़ाया जाए ताकि वे विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन जुटा सकें और अपनी योजनाओं को ज़मीन पर उतार सकें।
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