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Up Kiran, Digital Desk: गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर 39 में स्थित एक राजकीय महाविद्यालय के शिक्षकों ने ट्रैफिक चालान की प्रणाली को पूरी तरह से स्वचालित और डिजिटल बनाने का नया रास्ता खोज निकाला है। इस तकनीक के आने से आम लोगों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर मिलने वाले चालानों के मामले में पारदर्शिता और आसानी दोनों मिलेगी।
कैसे होगा काम? जानिए पूरी प्रक्रिया
इस नवाचार में रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (RFID) तकनीक का उपयोग किया गया है। मुख्य सड़कों पर लगे विशेष सेंसर हर गुजरती गाड़ी का टैग स्कैन करेंगे और संबंधित जानकारी तुरंत एक केंद्रीकृत सॉफ्टवेयर तक भेजेंगे। यह सॉफ्टवेयर वाहन के जरूरी दस्तावेजों जैसे बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता को सरकारी डेटाबेस से मिलाकर जांच करेगा। अगर कोई दस्तावेज़ वैध नहीं पाया गया तो चालान स्वतः ही जारी हो जाएगा।
आधुनिक तकनीक से ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी आसान होगी
इस सिस्टम को दो विशेषज्ञों—डॉ शिशुपाल सिंह और रीना रानी—ने मिलकर तैयार किया है। इनका उद्देश्य था कि ट्रैफिक पुलिस का काम और अधिक प्रभावी, तेज़ और त्रुटि रहित बनाया जाए। पारंपरिक कैमरा और OCR तकनीक के मुकाबले यह प्रणाली वाहन और उसके कागजात की स्थिति को वास्तविक समय में जांचने में सक्षम है। इससे न केवल नियम तोड़ने वालों पर सटीक कार्रवाई होगी बल्कि अधिकारियों का काम भी कम हो जाएगा।
सरकार ने नवाचार को दिया अधिकारिक दर्जा
12 जुलाई को इस तकनीक को भारत सरकार के कॉपीराइट विभाग ने अधिकारिक मान्यता दी है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश चंद के मार्गदर्शन में तैयार इस सिस्टम को “ऑटोमेटेड व्हीकल कंप्लायंस एंड डिजिटल चालान जनरेशन सिस्टम यूजिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी बेस्ट डिटेक्शन” नाम दिया गया है।