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Up Kiran, Digital Desk: भारत में उद्यमिता का सफर अक्सर पुरुषों के संघर्ष और सफलता की कहानियों से भरा रहता है, लेकिन कुछ महिलाएं ऐसे रास्ते बनाती हैं जो न केवल खुद को, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दे देती हैं। वंदना लूथरा उन्हीं महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने न सिर्फ एक सफल वेलनेस ब्रांड खड़ा किया, बल्कि लाखों महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाने वाली प्रेरणा भी बनीं।

सामाजिक सोच से जन्मी एक व्यावसायिक क्रांति

वंदना के भीतर बदलाव की चिंगारी बचपन से ही थी। उनकी मां का एक सामाजिक संगठन "अमर ज्योति" गरीबों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध कराता था। वहीं से वंदना ने यह समझा कि व्यवसाय का असली मकसद मुनाफे से कहीं आगे जाकर समाज को सशक्त करना भी हो सकता है।

जब भारत को ‘वेलनेस’ की समझ नहीं थी

साल था 1989। भारत में ब्यूटी पार्लर आम थे, लेकिन "वेलनेस" या "होलिस्टिक हेल्थ" का कोई ठोस ढांचा नहीं था। वंदना ने जर्मनी में पढ़ाई कर पोषण, त्वचा विज्ञान, योग और थेरेपी की बारीकियां सीखीं। भारत लौटने के बाद उन्होंने महज ₹20,000 की पूंजी से दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव में अपने घर से VLCC की शुरुआत की।

सौंदर्य से आगे, स्वास्थ्य की बात

जहां अधिकतर लोग सुंदरता को केवल चेहरे और शरीर तक सीमित मानते हैं, वंदना का फोकस मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के संतुलन पर था। उन्होंने VLCC को ब्यूटी सैलून की जगह वेलनेस क्लिनिक के रूप में स्थापित किया, जहां लोग सिर्फ दिखने के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली सुधारने आते थे।

महिलाओं के लिए बना आत्मनिर्भरता का जरिया

VLCC न सिर्फ ग्राहकों को सेवाएं देता है, बल्कि इसकी ट्रेनिंग अकादमियों ने 10 लाख से भी ज्यादा महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार योग्य बनाया। यह पहल नारी सशक्तिकरण की मिसाल बन गई।

न कोई बड़ा निवेश, न कोई पारिवारिक नेटवर्क

वंदना ने ये मुकाम बिना किसी बड़े कॉर्पोरेट सहयोग के हासिल किया। उनकी यह यात्रा उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो सोचती हैं कि सफलता के लिए बड़ा नाम या निवेश जरूरी होता है।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और योगदान

उनकी उपलब्धियों को सरकार ने भी सराहा और 2013 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से नवाज़ा गया। वह कई सामाजिक योजनाओं जैसे "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ", "स्किल इंडिया" और ग्रामीण महिला विकास कार्यक्रमों से भी सक्रिय रूप से जुड़ी हैं।

एक मां से रोल मॉडल तक का सफर

वंदना लूथरा न सिर्फ एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि उन्होंने अपनी बेटी को भी अपने पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित किया है। उनका मानना है कि बेटियों को आत्मविश्वास देना, शिक्षा से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।

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