
Up Kiran, Digital Desk: आप एक शर्ट बनाने वाले कारीगर हैं। आपने शर्ट बनाने के लिए कपड़ा खरीदा जिस पर आपने 18% टैक्स दिया। लेकिन जब आपने मेहनत करके शर्ट तैयार की और उसे बेचने गए, तो सरकार ने कहा कि आप ग्राहक से सिर्फ 12% टैक्स ही ले सकते हैं।
अब आप सोच में पड़ गए... मैंने माल खरीदते वक्त टैक्स दिया 18%, लेकिन बेचते वक्त वसूल कर पाया सिर्फ 12%। मेरे 6% का क्या होगा?
बस इसी 'उल्टे टैक्स' की समस्या से भारत में लैपटॉप और कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियां जूझ रही थीं। और अब, जल्द होने वाली GST काउंसिल की बैठक में इस बड़ी दुविधा को सुलझाया जा सकता है।
क्या है यह 'उल्टा टैक्स' का पूरा मामला?
बहुत ही सरल भाषा में समझिए:
जब कोई कंपनी भारत में लैपटॉप बनाने के लिए उसके अलग-अलग पुर्जे (जैसे स्क्रीन, प्रोसेसर, बैटरी) खरीदती है, तो उसे इन पुर्जों पर 18% GST देना पड़ता है।
लेकिन जब वही कंपनी इन सब पुर्जों को जोड़कर एक पूरा लैपटॉप तैयार करके बेचती है, तो उस तैयार लैपटॉप पर वह ग्राहक से सिर्फ 12% GST ही वसूल पाती है।
इस 'उल्टे' ढांचे (Inverted Duty Structure) की वजह से कंपनियों का पैसा सरकार के पास फंसा रह जाता है, जिसे वापस पाने (रिफंड लेने) में उन्हें महीनों लग जाते हैं। इससे भारत में लैपटॉप बनाने वाली कंपनियों को भारी नुकसान और परेशानी हो रही थी। हालत यह थी कि पुर्जे लाकर लैपटॉप बनाने से ज़्यादा सस्ता और आसान था, सीधे चीन से बना-बनाया लैपटॉप मंगवाकर बेच देना। यह 'मेक इन इंडिया' की सोच पर एक सीधी चोट थी।
अब क्या करने वाली है सरकार?
सूत्रों की मानें तो GST काउंसिल इस 'उल्टी गंगा' को अब सीधा बहाने वाली है। इसका सबसे सीधा समाधान यह है कि तैयार लैपटॉप पर लगने वाले GST को भी बढ़ाकर पुर्जों के बराबर, यानी 18%, कर दिया जाए।
इसका आप पर और देश पर क्या असर होगा
आम खरीदार पर असर: अगर लैपटॉप पर GST 12% से बढ़कर 18% होता तो ज़ाहिर सी बात है कि लैपटॉप, नोटबुक और पर्सनल कंप्यूटर की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
देश पर असर (अच्छी खबर): इस कदम से भारत में लैपटॉप बनाने वाली कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी। उनके लिए भारत में फैक्ट्री लगाना और यहीं पर सामान बनाना ज़्यादा फायदेमंद हो जाएगा। इससे 'मेक इन इंडिया' अभियान को ज़बरदस्त मजबूती मिलेगी, देश में रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और चीन से आने वाले लैपटॉप पर हमारी निर्भरता कम होगी.