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Up Kiran, Digital Desk: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर अपने भविष्यवादी विचारों और भारत के विकास के प्रति अपने जुनूनी दृष्टिकोण से चर्चा में हैं। हाल ही में एक विस्तृत इंटरव्यू में, मंत्री महोदय ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित ऊर्जा और आर्थिक विकास को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।

हाईवे निर्माण: गति और गुणवत्ता का संगम

गडकरी ने देश में हाईवे निर्माण की ज़बरदस्त रफ़्तार पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत तेज़ी से अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हाईवे नेटवर्क बना रहा है। उनका लक्ष्य है कि भारत की सड़कें अमेरिकी मानकों की तरह बेहतरीन गुणवत्ता वाली हों। सरकार लॉजिस्टिक कॉस्ट को 14-16% से घटाकर सिंगल डिजिट (9%) तक लाने का लक्ष्य रख रही है, जो भारत के निर्यात और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी है। उन्होंने यह भी बताया कि NHAI के पास फंड की कोई कमी नहीं है, और 'विज़न 2047' के तहत भविष्य की परियोजनाओं की योजनाएं तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं।

 इथेनॉल ब्लेंडिंग: 'ईंधन का भविष्य' और किसानों की आय का सहारा

इथेनॉल को 'साफ ईंधन' और 'ईंधन का भविष्य' बताते हुए गडकरी ने इसके फायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि E20 (पेट्रोल में 20% इथेनॉल) को लेकर जो भी इंजन को नुकसान पहुँचने या माइलेज कम होने की बातें की जा रही हैं, वे "पूरी तरह से गलत" हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे दावों को सिरे से ख़ारिज करते हुए, उन्होंने चुनौती दी कि अगर किसी भी कार में E20 से दिक्कत आई हो तो उसका नाम बताएं।

गडकरी के अनुसार, इथेनॉल ब्लेंडिंग के कई फायदे हैं:

प्रदूषण कम: यह कार्बन उत्सर्जन को कम करता है।

आयात पर निर्भरता कम: भारत का तेल आयात बिल घटता है, जिससे विदेशी मुद्रा (forex) बचती है (पिछले 11 वर्षों में ₹1.44 लाख करोड़ की बचत)।

किसानों को लाभ: इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने और मक्के जैसी फसलों की मांग बढ़ी है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है (जैसे मक्के की कीमत ₹1,200 से ₹2,800 प्रति क्विंटल तक बढ़ी है)।

बेहतर परफॉरमेंस: इथेनॉल का ऑक्टेन नंबर ज़्यादा होने से गाड़ियों का एक्सेलरेशन और राइड क्वालिटी बेहतर होती है।

सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक E20 का लक्ष्य हासिल करने के बाद भविष्य में 100% इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों को भी बाज़ार में लाना है।

 भारत की आर्थिक छलांग: ऑटो इंडस्ट्री और ग्रीन एनर्जी का विज़न

गडकरी ने भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को अगले पाँच सालों में दुनिया का नंबर 1 बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि 2014 से अब तक यह उद्योग ₹7.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹22 लाख करोड़ का हो गया है।

इसके अलावा, उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन पर भी ज़ोर दिया, यह कहते हुए कि अगर हाइड्रोजन उत्पादन लागत को $1 प्रति किलोग्राम तक लाया जा सका, तो भारत ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा निर्यातक बन सकता है। उन्होंने कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की संभावनाओं और बांस को कोयले के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने के विचार पर भी प्रकाश डाला।

उनका मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन, बायोफ्यूल और हाइड्रोजन जैसी हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने से भारत कार्बन न्यूट्रैलिटी की ओर बढ़ेगा, रोजगार पैदा होंगे, और देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करेगा।

 नितिन गडकरी का दृष्टिकोण स्पष्ट है: गुणवत्तापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित ऊर्जा और नवाचार के ज़रिए भारत को आर्थिक रूप से मज़बूत और वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश बनाना।

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