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Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की है कि भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता  1 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा। यह समझौता, जिसे व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता नाम दिया गया है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और आर्थिक उपलब्धि है।

इस समझौते पर, जो 15 साल की लंबी बातचीत के बाद हुआ, इस साल मार्च में हस्ताक्षर किए गए थे। EFTA में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन जैसे यूरोपीय देश शामिल हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं उच्च तकनीक, नवाचार और सेवा क्षेत्रों में मजबूत हैं।

निवेश और रोजगार: यह समझौता EFTA देशों से भारत में लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और अगले 15 वर्षों में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखता है।

बाजार पहुंच: भारतीय उत्पादों को EFTA देशों के बाजारों में बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे निर्यात बढ़ेगा। वहीं, EFTA देशों को भी भारत के विशाल बाजार तक पहुंच मिलेगी।

सेवाएं और आईपीआर: समझौते में सेवाओं, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और टिकाऊ विकास जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल हैं।

पीयूष गोयल ने इस समझौते को "गेम-चेंजर" बताते हुए कहा कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और वैश्विक व्यापार में देश की स्थिति को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा, क्योंकि यह भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा।

यह समझौता भारत के उन प्रयासों का हिस्सा है जिनके तहत वह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और व्यापारिक ब्लॉकों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है, ताकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी भूमिका का विस्तार किया जा सके। 1 अक्टूबर से प्रभावी होने के बाद, यह समझौता दोनों पक्षों के लिए नए अवसर पैदा करेगा और व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

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