img

धर्म डेस्क। सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य का प्रारंभ भगवान गणेश का नाम लेकर किया जाता है। हर शुभ कार्य का सबसे गणेश जी को निमंत्रण दिया जाता है। लोक मान्यता के अनुसार किसी कार्य की शुरुआत गणेश जी के आर्शीवाद से हो तो वह कार्य निर्विघ्न पूर्ण होता है। 'वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।'

शास्त्रों के अनुसार भादौं मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए इस पावन तिथि को गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) पर्व के रूप में मान्या जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) 7 सितंबर को पड़ रही है। इसी दिन से 10 दिन चलने वाले गणेश उत्सव का शुभारंभ होता है। गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) पर सनातनी गाजे बाजे के साथ धूमधाम से बप्पा को अपने घर पर लाकर उनकी स्थापना करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन उसका विसर्जन करते हैं। गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) की धूम भारत समेत पूरे विश्व में देखने को मिलता है।  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) 6 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर एक मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 7 सितंबर को 5 बजकर 37 मिनट पर समाप्‍त होगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) 7 सितंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन घरों में गणेश जी की स्थापना होगी। घर में बप्पा को बैठाने के बाद अनंत चतुर्दशी तक धूमधाम से बप्पा की पूजा की जाती है। इस बार अनंत चतुर्दशी 16 सितंबर को है।

सनातन मत में नियम एवं संयम को अति महत्व दिया गया है। अपने घर पर गणेश जी को बैठाने वाके लोगों को गणपति पूजा के कुछ नियमों की पालन करना चाहिए। प्रतिदिन सुबह-शाम गणेश जी की मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें। कम से कम तीन बार गणेश जी को भोग लगाना चाहिए।

घर में गणपति स्‍थापना के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए। मन में किसी भी तरह के गलत विचार नहीं आना चाहिए। गणेश चतुर्थी के दिन व्रत करें और बप्पा को मोदक का भोग अवश्य लगाएं। अनंत चतुर्दशी तक प्रतिदिन भजन-कीर्तन करें। ऐसा माना जाता है कि इन दस दिनों के दौरान किये गए वस्त्र एवं अन्न दान का कई गुना अधिक फल मिलता है। 
 

--Advertisement--