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Up Kiran, Digital Desk: भारत में जब भी हम क्रिकेट, फुटबॉल या हॉकी की बात करते हैं तो एक जुनून दिखाई देता है, लेकिन गोल्फ का नाम आते ही हमारे दिमाग में अक्सर 'अमीरों का खेल' या 'रिटायरमेंट के बाद का शौक' जैसी बातें आती हैं। लेकिन अब इस सोच को बदलने की एक बहुत बड़ी और गंभीर कोशिश शुरू हो गई है। इंडियन गोल्फ प्रीमियर लीग (IGPL) बोर्ड ने इस खेल को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए खेल मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की है।

इस मीटिंग का एक ही बड़ा मकसद था - गोल्फ को कुछ खास क्लबों से निकालकर आम आदमी, खासकर युवाओं और बच्चों तक कैसे पहुंचाया जाए।

क्या है IGPL का विजन: IGPL बोर्ड ने खेल मंत्री के सामने एक पूरा खाका पेश किया कि कैसे गोल्फ भारत में अगला बड़ा खेल बन सकता है।

स्कूलों और कॉलेजों से होगी शुरुआत: सबसे बड़ा आइडिया यह है कि गोल्फ को स्कूली और कॉलेज स्तर पर एक खेल के रूप में शामिल किया जाए। जैसे स्कूलों में क्रिकेट या बास्केटबॉल की टीमें होती हैं, वैसे ही गोल्फ की भी होंगी।

टैलेंट को मिलेगी पहचान: जमीनी स्तर पर गोल्फ शुरू होने से उन प्रतिभाशाली बच्चों को मौका मिलेगा, जिनके पास महंगे क्लबों में जाने के साधन नहीं हैं।

'खेलो इंडिया' से जोड़ने की अपील: IGPL ने मांग की है कि गोल्फ को सरकार के महत्वाकांक्षी 'खेलो इंडिया' कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। इससे इस खेल को सरकारी समर्थन और फंड दोनों मिलेंगे।

सरकार का मिला पूरा साथ: इस मीटिंग की सबसे अच्छी बात यह रही कि खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने IGPL के इन आइडियाज पर अपनी पूरी सहमति और समर्थन जताया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार भारत में गोल्फ को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद करेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में गोल्फ की बहुत संभावनाएं हैं और यह न केवल एक खेल है, बल्कि यह देश में खेल पर्यटन (Sports Tourism) को भी बढ़ावा दे सकता है।

यह मुलाकात भारत में गोल्फ के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। अगर यह योजनाएं सही तरीके से लागू होती हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब शायद हमें गली क्रिकेट की तरह 'गली गोल्फ' तो नहीं, लेकिन स्कूलों के मैदानों में बच्चे गोल्फ स्टिक घुमाते हुए जरूर दिखेंगे.