
Up Kiran, Digital Desk: आज सुबह भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए एक अप्रत्याशित झटका देखने को मिला। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) शुरुआती कारोबार में ही 500 अंकों से ज्यादा की गिरावट के साथ खुला, जबकि निफ्टी (Nifty) में भी 0.6 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।
इस गिरावट ने बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है, और निवेशक यह जानने को उत्सुक हैं कि आखिर इस बड़े फॉल (fall) के पीछे क्या वजह है और इसका भविष्य में क्या असर होगा। बाजार विश्लेषक इस गिरावट का सीधा संबंध अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ (tariff) से मान रहे हैं, लेकिन साथ ही वे निवेशकों को घबराने की बजाय धैर्य रखने की सलाह भी दे रहे हैं।
बाजार की सुबह और गिरावट का मंजर:
भारतीय शेयर बाजार के लिए आज की शुरुआत अच्छी नहीं रही। सुबह के कारोबार में ही निवेशकों को बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा।
सेंसेक्स में गिरावट: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स, जो देश की शीर्ष 30 बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाता है, शुरुआती सत्र में ही 500 से अधिक अंकों की बड़ी गिरावट के साथ खुला। इसने निवेशकों की चिंताएं बढ़ा दीं।
निफ्टी में गिरावट: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी 50 (Nifty 50), जो भारतीय इक्विटी बाजार का एक व्यापक संकेतक है, भी लगभग 0.6 प्रतिशत लुढ़क गया। यह गिरावट लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में देखी गई, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया।
अमेरिकी टैरिफ का असर: व्यापार युद्ध की आहट?
बाजार की इस गिरावट के पीछे की मुख्य वजह अमेरिका (USA) द्वारा कुछ विशेष उत्पादों पर 25% का भारी-भरकम आयात शुल्क (import tariff) लगाना बताया जा रहा है। यह कदम वैश्विक व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ा सकता है और इसे एक तरह के 'व्यापार युद्ध' (trade war) की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
टैरिफ क्या है और क्यों लगाए जाते हैं? टैरिफ या आयात शुल्क एक प्रकार का कर है जो विदेशी वस्तुओं या सेवाओं पर लगाया जाता है जब वे किसी देश में प्रवेश करती हैं। अमेरिका द्वारा ये टैरिफ मुख्य रूप से अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और कुछ विशेष देशों से आयात कम करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं।
भारतीय बाजार पर प्रभाव: अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर उन भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा जो इन टैरिफ के दायरे में आने वाले उत्पादों का अमेरिका को निर्यात करती हैं। इससे उनका निर्यात प्रभावित होगा, जिससे उनके राजस्व और मुनाफे पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। निवेशकों की चिंता यह है कि यदि यह व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) और कंपनियों की आय पर व्यापक असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की राय: घबराएं नहीं, यह अल्पावधि का प्रभाव है!
बाजार में गिरावट निवेशकों को चिंतित कर सकती है, लेकिन कई बाजार विश्लेषकों (market analysts) और आर्थिक विशेषज्ञों (economic experts) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से अल्पावधि (short-term) की है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
वैश्विक हेडविंड्स: बाजार अक्सर वैश्विक घटनाओं, जैसे व्यापार तनाव या भू-राजनीतिक अस्थिरता, पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती: विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत (fundamentals) अभी भी मजबूत हैं। घरेलू मांग (domestic demand) और सरकार के सुधारों पर आधारित नीतियां (government policies) बाजार को लंबी अवधि में सहारा देंगी।
FIIs की भूमिका: विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors - FIIs) भी ऐसे समय में सतर्क हो जाते हैं, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, यह अक्सर एक अस्थायी चरण होता है।
अवसर का सिद्धांत: कई विशेषज्ञ गिरावट को खरीदारी के अवसर (buying opportunity) के रूप में देखते हैं, खासकर उन अच्छी कंपनियों के शेयरों में जो मजबूत हैं लेकिन अस्थायी कारणों से गिर गए हैं।
निवेशकों के लिए सलाह:
पैनिक सेलिंग से बचें (Avoid Panic Selling): अपनी होल्डिंग्स को घबराहट में बेचने से बचें, क्योंकि अक्सर ऐसी गिरावट के बाद बाजार फिर से संभल जाते हैं।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Long-term Perspective): यदि आपका निवेश लक्ष्य दीर्घकालिक है, तो दैनिक बाजार के उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक प्रभावित न हों। गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश बनाए रखें।
SIP जारी रखें: यदि आप सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से निवेश कर रहे हैं, तो उसे जारी रखें। गिरावट में आपको कम कीमत पर अधिक यूनिट्स मिलेंगी, जिससे औसत लागत (average cost) कम होगी।
पोर्टफोलियो का विविधीकरण (Diversify Portfolio): अपने निवेश को विभिन्न क्षेत्रों और एसेट क्लास (asset class) में फैलाकर जोखिम को कम करें।
वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें (Consult Financial Advisor): किसी भी बड़े निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।
IEPFA और निवेशक शिक्षा का महत्व: ऐसे बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान निवेशक शिक्षा (investor education) और जागरूकता (awareness) का महत्व और भी बढ़ जाता है। निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) जैसी संस्थाएं, जो कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के तहत काम करती हैं, निवेशकों को शिक्षित करने और उनके हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। निवेशक दीदी (Niveshak Didi) और निवेशक पंचायत (Niveshak Panchayat) जैसे उनके अभियान निवेशकों को सही जानकारी और सलाह प्रदान करते हैं, जिससे वे बाजार की अस्थिरता के बावजूद सूचित निर्णय ले सकें।
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