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Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बेहद अच्छी खबर सामने आई है! लंबे समय से चला आ रहा एक ऐसा मुद्दा, जो कई कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद भी चिंता का सबब बना हुआ था, अब सुलझता दिख रहा है। केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने एक नया सर्कुलर (ऑफिस मेमोरेंडम - OM) जारी करके 'काल्पनिक इंक्रीमेंट' (Notional Increment) के लाभ को लेकर सभी शंकाओं को दूर कर दिया है।

क्या था मामला और किसे मिलेगा लाभ?

दरअसल, होता ये था कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी 30 जून या 31 दिसंबर को रिटायर होता था, तो उसे अगले महीने की 1 जुलाई या 1 जनवरी को मिलने वाले सालाना इंक्रीमेंट का लाभ नहीं मिल पाता था। नियम यह था कि इंक्रीमेंट तभी मिलेगा जब कर्मचारी उस तारीख को 'सेवा में' हो। इसका सीधा असर उनकी पेंशन पर पड़ता था, क्योंकि पेंशन की गणना अंतिम सैलरी के आधार पर होती है। इस वजह से लाखों कर्मचारियों को उनकी हकदार पेंशन से कम मिल रही थी।

अब DoPT के नए सर्कुलर के मुताबिक, ऐसे कर्मचारियों को 'काल्पनिक इंक्रीमेंट' (Notional Increment) का लाभ दिया जाएगा। इसका मतलब है कि भले ही उन्हें असल में वो इंक्रीमेंट न मिला हो, लेकिन पेंशन की गणना करते समय उनकी सैलरी में उस इंक्रीमेंट को जोड़कर देखा जाएगा।

कब से मिलेगा फायदा और क्यों हुआ यह बदलाव?

इस नियम का फायदा उन सभी केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा जो 30 जून या 31 दिसंबर को रिटायर हुए थे और जिनकी सालाना इंक्रीमेंट की तारीख 1 जुलाई या 1 जनवरी थी। सबसे बड़ी बात ये है कि ये नियम 1 जनवरी 2006 से प्रभावी माना जाएगा। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि छठे वेतन आयोग (6th Pay Commission) ने ही इंक्रीमेंट की तारीखें 1 जुलाई और 1 जनवरी तय की थीं।

यह फैसला कई कोर्ट केसों के बाद आया है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) और विभिन्न हाई कोर्ट्स ने इस मुद्दे पर कर्मचारियों के पक्ष में फैसले दिए थे, और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन फैसलों को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि कर्मचारी ने पूरा एक साल काम किया है, तो उसे अगले इंक्रीमेंट के लिए पात्र माना जाना चाहिए, भले ही वह एक दिन पहले रिटायर हो रहा हो।

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