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Up Kiran, Digital Desk: नेपाल के दक्षिणी इलाके में एक बार फिर सड़कें गरमाई हुई हैं। भारत की सीमा से सटे बारा जिले के सिमरा शहर में पिछले दो दिनों से “Gen Z” नाम के युवा आंदोलनकारी और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त टकराव हो रहा है। स्थिति इतनी बिगड़ी कि प्रशासन को लगातार दूसरे दिन कर्फ्यू लगाना पड़ा।

हवाई अड्डे के आसपास गोली चलने की नौबत

बुधवार दोपहर से ही सिमरा हवाई अड्डे के आधे किलोमीटर के दायरे में पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। जिला प्रशासन ने दोपहर साढ़े बारह बजे से रात आठ बजे तक कर्फ्यू का ऐलान किया था। लेकिन गुरुवार सुबह जैसे ही लोग फिर सड़कों पर दिखे और पुलिस से भिड़ने लगे तो दोपहर एक बजे से फिर कर्फ्यू थोप दिया गया।

स्थानीय अधिकारी छविराम सुबेदी ने बताया कि भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया था और हालात हाथ से फिसल रहे थे। मजबूरन फिर सख्त कदम उठाना पड़ा।

आखिर माजरा क्या है?

दरअसल पूरी कहानी एक छोटी सी खबर से शुरू हुई। केपी ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल के बड़े नेता शंकर पोखरेल और युवा विंग के चर्चित चेहरा महेश बस्नेत काठमांडू से सिमरा आने वाले थे। दोनों को एक बड़ी रैली को संबोधित करना था जिसमें मौजूदा सरकार के खिलाफ जोरदार हमला बोला जाना था।

जैसे ही उनके आने की खबर फैली जेन-जी के सैकड़ों युवा हवाई अड्डे के बाहर जमा हो गए। नारे लगने शुरू हुए। वहां पहले से मौजूद यूएमएल कार्यकर्ता भड़क गए। देखते ही देखते पत्थर चलने लगे और लाठियां भांजी जाने लगीं। पुलिस बीच में कूदी तो उसे भी निशाना बनाया गया।

हंगामा इतना बढ़ गया कि बुद्ध एयरलाइंस को काठमांडू-सिमरा रूट की सारी उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

जेन-जी आंदोलन क्यों इतना खतरनाक हो गया है?

नेपाल की सड़कों पर पिछले कुछ महीनों से जो सबसे ताकतवर आवाज गूंज रही है वह जेन-जी की है। ये युवा भ्रष्टाचार और पुरानी राजनीति से तंग आ चुके हैं। इन्हीं के दबाव में कुछ महीने पहले केपी ओली की सरकार गिर गई थी और संसद भंग कर दी गई थी।

अब ओली की पार्टी पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है और संसद को दोबारा बहाल करने की मांग कर रही है। लेकिन जेन-जी वाले इसे किसी भी कीमत पर होने नहीं देना चाहते। उनका साफ कहना है कि पुराने चेहरे वापस आएंगे तो कुछ नहीं बदलेगा।