
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी के बीच पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम की ओर से एक ऐसा बयान सामने आया है, जिसने भारत सहित दुनिया भर के उन लाखों प्रोफेशनल युवाओं की चिंता बढ़ा दी है, जो अमेरिका में नौकरी करने और बसने का सपना देखते हैं। ट्रंप के जीतने पर वाणिज्य मंत्री (Commerce Secretary) पद के सबसे प्रबल दावेदार हॉवर्ड लुटनिक ने संकेत दिया है कि अगर ट्रंप सत्ता में लौटते हैं, तो H1B वीजा और ग्रीन कार्ड सिस्टम में बड़ा और कड़ा बदलाव किया जाएगा।
लुटनिक ने मौजूदा H1B वीजा प्रणाली को एक "घोटाला" करार देते हुए कहा कि यह अमेरिकी नागरिकों से नौकरियां छीनने का काम करता है। उनके बयानों से यह साफ है कि अगर ट्रंप प्रशासन आता है तो आव्रजन नियमों को अमेरिकी कर्मचारियों के हितों को प्राथमिकता देने के लिए फिर से तैयार किया जाएगा।
H1B वीजा: लॉटरी सिस्टम खत्म, अब 'सैलरी' से तय होगी किस्मत
H1B वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। वर्तमान में यह वीजा लॉटरी के जरिए दिया जाता है, जिसमें कहीं न कहीं किस्मत का भी खेल होता है। हॉवर्ड लुटनिक ने साफ कहा है कि वह इस लॉटरी सिस्टम को खत्म करने के विचार में सीधे तौर पर शामिल हैं।
प्रस्तावित बदलावों के तहत, लॉटरी की जगह एक वेतन-आधारित (wage-based) प्रणाली लाई जा सकती है। इसका मतलब यह होगा कि जिन आवेदकों को अमेरिकी कंपनियां ज्यादा सैलरी ऑफर करेंगी, उनके वीजा मिलने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी। इस नियम का मकसद अमेरिकी कंपनियों को सिर्फ सस्ते कर्मचारी भर्ती करने के लिए विदेशी पेशेवरों को लाने से रोकना है। लुटनिक ने कहा, "हम उस कार्यक्रम को बदलने जा रहे हैं... यह भयानक है।"
ग्रीन कार्ड नहीं, अब मिलेगा ‘गोल्ड कार्ड’
स्थायी नागरिकता (ग्रीन कार्ड) के नियमों में भी बड़े बदलाव के संकेत मिले हैं। लुटनिक ने ट्रंप प्रशासन की "गोल्ड कार्ड" योजना के बारे में बताया। इस योजना के तहत, उन अमीर विदेशियों को अमेरिका में स्थायी निवास दिया जाएगा जो देश में 5 मिलियन डॉलर (लगभग 42 करोड़ रुपये) का भारी-भरकम निवेश करेंगे।
लुटनिक ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में लोगों की भारी दिलचस्पी है और लगभग 2.5 लाख लोग लाइन में इंतजार कर रहे हैं, जिससे 1.25 ट्रिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा, "यही गोल्ड कार्ड है जो आ रहा है... और यहीं से हम इस देश में आने के लिए सबसे अच्छे लोगों को चुनना शुरू करेंगे।"
क्यों हो रहे हैं ये बदलाव:ट्रंप की टीम का मुख्य तर्क यह है कि अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों पर निर्भर रहने के बजाय स्थानीय अमेरिकी कामगारों को काम पर रखने को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका आरोप है कि कई कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर उनकी जगह कम वेतन पर H1B वीजा धारकों को नौकरी पर रख लेती हैं।
यह दिलचस्प है कि खुद ट्रंप ने जनवरी में H1B वीजा का बचाव करते हुए कहा था कि देश को "सक्षम" और "महान" लोगों की जरूरत है और यह H1B के माध्यम से हो सकता है। हालांकि, लुटनिक के हालिया बयानों से साफ है कि अगर ट्रंप की वापसी होती है, तो भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिकी सपने की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
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