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अपने बेटे के टिकट के लिए आला कमान पर दबाव बनाकर सफल होने वाले उत्त्राखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत हरिद्वार सीट पर घिरते जा रहे हैं। BJP के आक्रामक चुनाव प्रबंधन ने पूर्व सीएम के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। हरीश रावत के कट्टर समर्थकों के भारी तादाद में पाला बदलकर BJP में आ जाने के बाद कांग्रेस दबाव में दिख रही है।

बची-कुची कसर अब BJP के जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी, शाहनवाज हुसैन जैसे दिग्गज प्रचारक पूरी करने जा रहे हैं, जिनके हरिद्वार लोकसभा सीट पर कार्यक्रम घोषित हो चुके हैं। इसी सिलसिले में सबसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कल यानि पांच अप्रैल को हरिद्वार में रोड शो करने जा रहे हैं।

जानें क्यों बढ़ी हरीश रावत मुश्किलें

पूर्व सीएम हरीश रावत 2022 के विधानसभा इलेक्शन के बाद एक बार फिर हरिद्वार की गलियों में वोट की अपील करते घर-घर दस्तक दे रहे हैं। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अपनी बेटी अनुपमा रावत के लिए 2022 में हरीश रावत ने खूब मेहनत की थी।

बता दें कि इससे पहले, 2014 के लोकसभा इलेक्शन में अपनी पत्नी रेणुका रावत और 2009 में खुद अपने लिए हरीश रावत ने हरिद्वार के वोटरों से संपर्क साधा था। इस बार वो अपने बेटे विरेंद्र रावत के लिए वोट मांग रहे हैं। मगर उनकी समस्या ये है कि कांग्रेस प्रत्याशी बतौर उनके बेटे विरेंद्र रावत का नया चेहरा और उस पर विरोधियों के परिवारवाद को बढ़ाने के आरोपों ने हरीश रावत के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी है।

BJP ने यहां से अपना प्रत्याशी सियासत में बहुत अनुभवी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को बनाया है। हालांकि हरीश रावत सभी तरह के आरोपों को गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि उनका बेटा कांग्रेस का कार्यकर्ता होने के चलते टिकट का दावेदार बना है।

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