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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह दौर बेहद रोमांचक है, क्योंकि यशस्वी जायसवाल जैसी नई प्रतिभाएं टेस्ट क्रिकेट में धूम मचा रही हैं। दूसरी ओर, इंग्लैंड के हैरी ब्रूक भी अपनी आक्रामक शैली और निरंतरता से दुनिया का ध्यान खींच रहे हैं। अगर दोनों खिलाड़ियों के पहले 24 टेस्ट मैचों के प्रदर्शन की तुलना की जाए, तो यह साफ हो जाता है कि दोनों का प्रभावशाली सफर अलग-अलग रास्तों से होता हुआ शीर्ष स्तर तक पहुंचा है।

रन बनाने की रफ्तार बनाम धैर्य की परीक्षा

ब्रूक का अंदाज़ शुरुआत से ही तेज-तर्रार रहा है। उन्होंने 24 टेस्ट में 2281 रन बनाए हैं और उनका स्ट्राइक रेट रहा है 88.37 — जो टेस्ट क्रिकेट के लिहाज़ से बेहद आक्रामक माने जाता है। उन्होंने ये रन केवल 2581 गेंदों पर बनाए, जिससे पता चलता है कि वह गेंदबाज़ों पर दबाव डालने की नीति पर चलते हैं।

वहीं, जायसवाल का तरीका अधिक संयम और तकनीक पर आधारित है। उन्होंने लगभग समान टेस्ट मैचों में 2209 रन बनाए, लेकिन इसके लिए उन्हें 3336 गेंदों का सामना करना पड़ा। उनका स्ट्राइक रेट 66.21 रहा, जो भले ही ब्रूक से कम है, पर लंबे समय तक टिकने और पारी संवारने की उनकी क्षमता को दर्शाता है।

किसने किसके खिलाफ मचाई तबाही?

ब्रूक ने पाकिस्तान के खिलाफ छह टेस्ट में 841 रन बनाकर अपने इरादे जता दिए थे। उनका औसत इन मैचों में 84.1 का रहा और चार शतक उनके बल्ले से निकले। दूसरी तरफ, जायसवाल को इंग्लैंड के खिलाफ खेलने में विशेष आनंद आता है। उन्होंने 10 टेस्ट में 62.38 की औसत से 1123 रन ठोके, जिनमें चार शतक और पाँच अर्धशतक शामिल हैं।

शून्य पर आउट – किसका दबाव में फेल होने का ग्राफ ज्यादा?

जहां ब्रूक अब तक सिर्फ दो बार शून्य पर आउट हुए हैं, वहीं जायसवाल को पाँच बार बिना खाता खोले पवेलियन लौटना पड़ा है। हालांकि, जायसवाल ने हर बार वापसी कर यह साबित किया है कि असफलताओं से वह घबराते नहीं, बल्कि सीखते हैं।

चौकों-छक्कों का मुकाबला – कौन है बाउंड्री बॉस?

अगर बात बाउंड्री मारने की हो, तो जायसवाल इस मामले में ब्रूक को पीछे छोड़ते हैं। उन्होंने अब तक 270 चौके और 43 छक्के जड़े हैं, जबकि ब्रूक के नाम 246 चौके और 37 छक्के हैं। यह इस बात का संकेत है कि जायसवाल सिर्फ टिकते नहीं, बल्कि रन भी तेजी से जोड़ते हैं – जब उन्हें मौका मिलता है।

निष्कर्ष: तुलना नहीं, दोनों की चमक को पहचानें

जहां ब्रूक तेज़ी से रन बनाकर मैच का रुख बदलने में माहिर हैं, वहीं जायसवाल पारी को मजबूती देने और टीम के लिए लंबा खेल खेलने में निपुण हैं। दोनों ही युवा खिलाड़ियों ने यह दिखा दिया है कि वे आने वाले वर्षों में अपनी-अपनी टीमों की रीढ़ बन सकते हैं।

 

 

 

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