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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत अब रूस से कच्चा तेल नहीं खरीद रहा है। लेकिन इस बयान के कुछ ही घंटों बाद भारत सरकार के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई की सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय तेल रिफाइनरियाँ अभी भी रूसी आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीद रही हैं। खरीद के त्वरित निर्णय कीमत, कच्चे तेल की गुणवत्ता, भंडारण, रसद और अन्य आर्थिक कारकों पर आधारित होते हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है और इसके पीछे स्पष्ट कारण हैं। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है। रूस प्रतिदिन लगभग 95 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है, जो दुनिया की ज़रूरत का लगभग 10% है। इतना ही नहीं, रूस प्रतिदिन लगभग 45 लाख बैरल कच्चा तेल और 23 लाख बैरल रिफाइंड तेल बेचता है।

कठिन परिस्थितियों में सही फैसला

मार्च 2022 में यह आशंका जताई जा रही थी कि अगर रूसी कच्चा तेल वैश्विक बाजार से बाहर चला गया, तो तेल आपूर्ति में भारी व्यवधान आ सकता है। इसी आशंका के चलते उस समय ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई थी, जो बहुत ज़्यादा है। ऐसे मुश्किल हालात में भारत ने समझदारी दिखाई। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और अपनी ज़रूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसलिए भारत ने सस्ता कच्चा तेल पाने के लिए अपनी क्रय नीति में बदलाव किया।