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Up Kiran, Digital Desk: पिछले 12 दिनों से चल रहा इजरायल और ईरान के बीच युद्ध आखिरकार आज थम गया। ईरान में परमाणु संयंत्र को नष्ट करने के लिए इजरायल ने 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया था, जिसका ईरान ने भी उतना ही विनाशकारी जवाब दिया। इससे इजरायल को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इस युद्ध के दौरान दुनिया की सबसे ताकतवर सैन्य ताकतों में से एक माने जाने वाले इजरायल के रक्षा तंत्र की कई सीमाएं उजागर हुईं। ईरान के विरुद्ध संघर्ष से इजरायल ने क्या सबक सीखा है?
इजरायल के आयरन डोम की सीमाएं उजागर
इजरायल अपनी ओर आने वाली मिसाइलों और दूसरे हमलों को रोकने के लिए आयरन डोम का इस्तेमाल करता है। यह सुरक्षा प्रणाली छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों के साथ-साथ ड्रोन को भी रोकने में सक्षम है। इस युद्ध में भी आयरन डोम ने ईरान की ओर से दागी गई 450 मिसाइलों और 1,000 ड्रोन में से 90 फीसदी को रोक लिया था। हालांकि, इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने बताया है कि ईरान की ओर से दागी गई हज कासिम और खैबर शेखन मिसाइलें आयरन डोम को चकमा देकर अपने लक्ष्यों पर जा लगीं।
आयरन डोम के बारे में विशेषज्ञों ने एक्स पर लिखा है कि आयरन डोम एक दुर्जेय सुरक्षा प्रणाली है। हालांकि, यह एक साथ सैकड़ों मिसाइलों को नहीं रोक सकता। इस युद्ध ने दिखाया कि आयरन डोम की बैटरियों की संख्या और इंटरसेप्टर मिसाइलों की आपूर्ति सीमित है। अब इजरायल को एरो-2, एरो-3 और डेविड स्लिंग जैसी प्रणालियों को मजबूत करना होगा। साथ ही लेजर आधारित मिसाइलों का इस्तेमाल भी बढ़ाना होगा। ()
नागरिकों की सुरक्षा और अपर्याप्त बंकर
चूंकि हमेशा किसी दुश्मन के हमले की आशंका बनी रहती है, इसलिए इजरायल ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए बंकरों की व्यवस्था की हुई है। संभावित हमले की आशंका के बाद यहां के नागरिक बंकरों में शरण लेते हैं। इस बीच, प्रारंभिक जानकारी मिल रही है कि ईरान द्वारा किए गए हमलों में 24 इजरायली नागरिक मारे गए और 600 से अधिक घायल हुए। पता चल रहा है कि उनमें से कई पर उस समय हमला किया गया जब वे सुरक्षा के लिए बंकरों की ओर भाग रहे थे। इसलिए आने वाले समय में इजरायल को हमलों से खुद को बचाने के लिए अत्याधुनिक बंकर और हमलों का संकेत देने वाली चेतावनी प्रणाली स्थापित करनी होगी। ()
खुफिया तंत्र में खामियां
ईरान के साथ युद्ध में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद और सैन्य खुफिया विभाग 8200 ने प्रभावी भूमिका निभाई थी। अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, मोसाद ने ईरान में ड्रोन और हथियार तैनात किए थे। इजरायल की खुफिया एजेंसियों ने सटीक हमले करके 21 IRGC कमांडरों और 10 शोधकर्ताओं को निशाना बनाया। उन्होंने खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर परमाणु सुविधाओं को भी निशाना बनाया। हालांकि, इजरायल को मिली गोपनीय जानकारी में कुछ त्रुटियां थीं। इसके कारण ईरान अपनी मिसाइलों को गुप्त स्थानों पर ले जाने में सक्षम हो गया। इजरायल की खुफिया एजेंसियां ईरानी मिसाइलों की तैनाती पर पूरा ध्यान नहीं दे पाईं। इसलिए, इजरायल को भविष्य में सभी प्रकार की खुफिया एजेंसियों में बड़े सुधार करने होंगे।
अर्थव्यवस्था पर असर
ईरान के साथ संघर्ष ने इजरायल को बहुत बड़ा आर्थिक झटका दिया है। एक अनुमान के मुताबिक, इजरायल को करीब 12 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। हाइफा में तेल रिफाइनरी बंद हो गई। तेल अवीव और दूसरे शहरों में बड़ी मात्रा में संपत्ति का नुकसान हुआ। इस नुकसान से उबरने में इजरायल को कई साल लग जाएंगे।
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